अदानी ग्रुप ने हाल ही में शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नए आरोपों को तर्कहीन, बेतुके और आधारहीन बताया है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि स्विस अधिकारियों ने अदानी ग्रुप के छह स्विस बैंक खातों में $310 मिलियन से अधिक की राशि को फ्रीज कर दिया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और सिक्योरिटीज फोर्जरी की जांच का हिस्सा है। अदानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका स्विस कोर्ट की किसी भी कार्यवाही में कोई संबंध नहीं है। अदानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों को “राष्ट्रीयता पर हमला” बताते हुए कहा कि यह आरोप उनकी मार्केट वैल्यू को गिराने का प्रयास हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च, एक अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म है, जो कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाती है और उनके शेयरों की कीमत गिरने पर लाभ कमाती है। हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अदानी ग्रुप पर “बेशर्म स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड” का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई और कंपनी की मार्केट वैल्यू में $100 बिलियन से अधिक की कमी आई। हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप पर अपने चेयरमैन के भाई विनोद अदानी और उनके ऑफशोर शेल एंटिटीज के साथ संदिग्ध लेनदेन का भी आरोप लगाया है। अदानी ग्रुप ने इन आरोपों को “बेसलेस” बताते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।
भारतीय सरकार और सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने अदानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का आदेश दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर सेबी की जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले पर कोई सीधा बयान नहीं दिया है, लेकिन सरकार ने कहा है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। इस विवाद का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अदानी ग्रुप की कंपनियों में निवेशकों के विश्वास पर। अदानी ग्रुप की मार्केट वैल्यू में भारी गिरावट और निवेशकों की चिंता ने भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है। भविष्य में इस मामले का निपटारा कैसे होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।