लेबनान में हाल ही में हुए वायरलेस डिवाइस विस्फोटों की दूसरी लहर ने देश को हिला कर रख दिया है। 18 सितंबर 2024 को हुए इन विस्फोटों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 450 से अधिक लोग घायल हो गए। इससे पहले, 17 सितंबर को हुए पहले विस्फोट में 12 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 3,000 लोग घायल हुए थे। इन विस्फोटों के लिए हिज़्बुल्लाह के वॉकी-टॉकी और पेजर जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था, जिन्हें इज़राइल द्वारा विस्फोटक सामग्री से भरा गया था। इन घटनाओं ने लेबनान में सुरक्षा की स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।

भारत के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि यह एक नए प्रकार के हथियार का संकेत देता है, जो मास डिस्ट्रक्शन का कारण बन सकता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और इस प्रकार के हथियारों से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को मजबूत कर रही हैं। भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने इस प्रकार के उपकरणों की पहचान और निष्क्रिय करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। सरकार ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस प्रकार के हथियारों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है।

जनता ने इस मामले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोग इसे हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच के संघर्ष का परिणाम मान रहे हैं, जबकि अन्य लोग इसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है, जहां लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कुल मिलाकर, यह मामला न केवल लेबनान बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर चेतावनी है और इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।










