रांची. राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में रविवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों का महाजुटान हुआ। दरअसल, भारत की जनगणना फॉर्म में सरना आदिवासी धर्मावलंबियों के लिए अलग धर्मकोड की मांग पर गोलबंदी तेज हो रही है। बताते चलें कि सरना धर्म कोड की मांग बहुत पहले से चली आ रही है। आदिवासी संगठन इसको लेकर कई वर्षों से मांग करते आये हैं कि उनकी भी एक अलग पहचान होनी चाहिए, लेकिन अभी तक इस पर पहल नहीं हुई है।
वहीं शनिवार शाम से ही बड़ी तादाद में लोग रैली स्थल पर पहुंचने लगे और आज शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला। हालांकि झारखंड की विधानसभा में वर्ष 2021 में 11 नवंबर को एक विशेष सत्र आयोजित कर जनगणना में सरना आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड दर्ज करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की संयुक्त साझेदारी सरकार की ओर से विधानसभा में लाए गए इस प्रस्ताव को राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के विधायकों ने भी समर्थन किया था।
सरना आदिवासी धर्म कोड बिल’ सर्वसम्मति से पास कर केंद्र सरकार को भेजा था। झारखंड सरकार ने कहा था कि इसके जरिए आदिवासियों की संस्कृति और धार्मिक आजादी की रक्षा की जा सकेगी। लेकिन, केंद्र सरकार ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है।