लॉरेंस बिश्नोई का आतंक
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में लॉरेंस बिश्नोई और उसके सहयोगी गोल्डी बरार के खिलाफ कड़े यूएपीए कानून के तहत आरोप पत्र दायर किया है। इस आरोप पत्र में NIA ने बिश्नोई के गिरोह की तुलना दाऊद इब्राहिम के डी-कंपनी से की है। बिश्नोई गिरोह ने पूर्व महाराष्ट्र मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी ली है। NIA के अनुसार, बिश्नोई का गिरोह 700 शूटरों के साथ काम करता है और यह गिरोह सोशल मीडिया का उपयोग करके युवाओं को आकर्षित करता है।

गिरोह का विस्तार और गतिविधियां
लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह पहले केवल पंजाब तक सीमित था, लेकिन अब यह हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और झारखंड सहित 11 राज्यों में फैल चुका है। गिरोह ने स्थानीय गिरोहों के साथ गठजोड़ करके अपना नेटवर्क बढ़ाया है। बिश्नोई गिरोह ने 2020-21 में करोड़ों रुपये की उगाही की, जिसे हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया। गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और युवाओं को विदेश में बसाने का सपना दिखाकर उन्हें अपने गिरोह में शामिल करते हैं।
सरकार और जनता की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और NIA की जांच के बाद कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। जनता में इस घटना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे कानून व्यवस्था की बड़ी विफलता मानते हैं, जबकि कुछ इसे सरकार की सख्ती का परिणाम मानते हैं। लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह जिस तरह से दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है, उसने सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। जनता अब इस मामले की आगे की जांच और कार्रवाई का बेसब्री से इंतजार कर रही है।










