आयुष्मान भारत योजना में सामने आए कथित भ्रष्टाचार ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रांची सदर अस्पताल में पदस्थ जिला समन्वयक आशीष रंजन के ठिकानों से 16.50 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। इसके अलावा, जांच के दौरान फर्जी MBA डिग्री का भी खुलासा हुआ है, जो आशीष ने दरभंगा के एक संस्थान से प्रस्तुत की थी। उनकी नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता को लेकर विभागीय स्तर पर जांच पहले से ही चल रही थी। ED को शक है कि यह रकम आयुष्मान भारत योजना में अवैध वसूली का हिस्सा हो सकती है।
छापेमारी के दौरान ED ने कुल 21 स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें 18.50 लाख रुपये जब्त किए गए। इसके अलावा, ओम प्रकाश नामक व्यक्ति के घर से दो लाख रुपये नकद, फ्लैट और जमीन से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए गए। थर्ड पार्टी असेसमेंट में लगी कंपनियों से संबंधित लोगों के ठिकानों से डिजिटल डिवाइस और कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिनसे योजना में गड़बड़ी की पुष्टि होने की संभावना है। इस पूरे मामले में ED गहन जांच कर रही है और कई नए सुराग जुटा रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आशीष रंजन, जिनकी मासिक तनख्वाह केवल 50 हजार रुपये है, उनके ठिकानों से इतनी बड़ी नकदी मिलने पर जांच एजेंसियों को शक है कि यह घोटाले का मात्र एक छोटा हिस्सा हो सकता है। उनके ऊपर न केवल फर्जी डिग्री के जरिए नियुक्ति पाने बल्कि योजना में गड़बड़ी और गलत तरीके से इंसेंटिव लेने जैसे गंभीर आरोप हैं। उनकी नियुक्ति वर्ष 2019 में हुई थी, जब सिविल सर्जन डॉ. विजय विहारी प्रसाद के कार्यकाल में नियमों की अनदेखी की गई थी।