रामगढ़, झारखंड: वट सावित्री पूजा के पावन अवसर पर रामगढ़ में सुहागिन महिलाओं ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की। इस पर्व में महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा-अर्चना की। व्रत रखकर महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा की, कच्चे धागे से पेड़ को बांधा और सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण किया। मान्यता है कि सावित्री ने अपनी भक्ति और तप से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस प्राप्त किए थे, और इसी श्रद्धा के साथ रामगढ़ शहरी क्षेत्र और आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में महिलाएं इस पूजा में शामिल हुईं।

पूजा के दौरान महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के नीचे बैठकर विधि-विधान से पूजा की। कच्चे धागे से वृक्ष की परिक्रमा करते हुए उन्होंने अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्रार्थना की। पूजा के बाद महिलाओं ने पुरोहित को सुहाग का सामान भेंट किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके साथ ही, महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, ताकि उनके घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहे। यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए उनके पति की रक्षा और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए विशेष महत्व रखता है।

रामगढ़ में वट सावित्री पूजा का आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक एकजुटता को भी दर्शाता है। महिलाओं ने इस अवसर पर अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत रखते हुए उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। यह पर्व न सिर्फ पति-पत्नी के अटूट रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि समाज में भक्ति और विश्वास की भावना को भी बढ़ावा देता है।
-रिपोर्टर: कुमार मिश्रा










