7 अगस्त 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के जमशेदपुर में स्क्रैप कारोबारी ज्ञानचंद जायसवाल उर्फ बबलू जायसवाल के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की, जो लगभग 750 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले से जुड़े मामले में की गई। ईडी की टीमें सुबह-सुबह बिष्टुपुर, बर्मामाइंस, जुगसलाई और आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित जायसवाल के आवास और शारदा एंडेवर्स फैक्ट्री जैसे ठिकानों पर पहुंची। इस दौरान अधिकारियों ने दस्तावेजों की गहन छानबीन की और कई महत्वपूर्ण कागजात के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त किए। यह कार्रवाई फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोपों के तहत की गई, जिसमें बबलू जायसवाल पहले भी जीएसटी घोटाले के मामले में जेल जा चुके हैं।
बबलू जायसवाल पर पहले 55.66 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले का आरोप लग चुका है, जिसमें उनकी कंपनियों—मेसर्स जय भोलानाथ, मेसर्स मां शारदा एंडेवर, मेसर्स मेकर्स कास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स केदारनाथ ट्रैक्सीन, ज्ञानदीप आयरन प्राइवेट लिमिटेड, और मेसर्स विभ्रान स्क्रैप कंपनी—के जरिए 22.31 करोड़ और 33.35 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दुरुपयोग करने का मामला सामने आया था। इस बार की छापेमारी भी इसी तरह के फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी के आरोपों से जुड़ी है, जिसके तहत ईडी ने व्यापक जांच शुरू की है। हालांकि, अधिकारियों ने अभी तक मीडिया के साथ इस मामले में कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन यह कार्रवाई घोटाले के बड़े नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यह छापेमारी झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में चल रही व्यापक जांच का हिस्सा है, जिसमें ईडी ने पहले ही कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कोलकाता के व्यापारी शिव कुमार देवड़ा और अन्य शामिल हैं। बबलू जायसवाल के ठिकानों पर यह कार्रवाई न केवल उनके पिछले आपराधिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर की गई, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रवर्तन निदेशालय जीएसटी घोटाले के इस जटिल जाल को पूरी तरह से उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस जांच से और अधिक खुलासे और गिरफ्तारियां होने की संभावना है, जो झारखंड और अन्य राज्यों में फैले इस घोटाले के नेटवर्क को और स्पष्ट कर सकती है। यह कार्रवाई न केवल आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने वालों को जवाबदेह बनाया जाए।