ईद-ए-मिलादुन्नबी पर मेदिनीनगर में निकला भव्य जुलूस, शहर गूंजा नबी की याद में – डीआईजी नौशाद आलम बोले, मोहम्मद साहब का जीवन मानवता की मिसाल
मेदिनीनगर : शहर में शुक्रवार को ईद-ए-मिलादुन्नबी के पावन अवसर पर एक भव्य और ऐतिहासिक जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। पूरा शहर धार्मिक माहौल से सराबोर रहा और चारों ओर भाईचारे और अमन-शांति का संदेश गूंजता रहा।
इस आयोजन का संयुक्त नेतृत्व अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमिन और जश्ने ईद मिलादुन्नबी मेदिनीनगर ने किया। सुबह मरकजी मदरसा से जुलूस की शुरुआत हुई। हाथों में झंडे और बैनर लिए हजारों लोग पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब की याद में नारे लगाते, धार्मिक गीत और नाते रसूल गाते हुए आगे बढ़े।
जुलूस का मार्ग मुस्लिम नगर, लालकोठा, भट्ठी मुहल्ला, कनीराम, सतारसेठ चौक, विष्णुमंदिर, पंचमुहान से होता हुआ छहमुहान पहुंचा। पूरे रास्ते दोनों ओर स्थानीय लोगों ने जुलूस का स्वागत किया। जगह-जगह जलपान की व्यवस्था की गई और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक श्रद्धा भाव से शामिल हुए।
छहमुहान पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में पलामू रेंज के डीआईजी नौशाद आलम बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सब ईद-ए-मिलादुन्नबी के इस खास अवसर पर एकत्र हुए हैं।
यह दिन पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब की पैदाइश की याद में मनाया जाता है। उनका जीवन मानवता के लिए एक मिसाल है। उन्होंने सिखाया कि इंसान की पहचान उसके धन, पद या जाति से नहीं बल्कि उसके अख़लाक (चरित्र) और नेकी (सदाचार) से होती है।
डीआईजी ने आगे कहा कि मोहम्मद साहब ने अपने जीवन से हमेशा अमन-शांति, भाईचारा और समानता का संदेश दिया। ईद-ए-मिलादुन्नबी का मकसद यही है कि हम उनकी शिक्षाओं को याद करें और उन्हें अपने जीवन में उतारें।
उन्होंने लोगों से अपील की कि हम सब दूसरों की मदद करें, सच
बोलें, अमन कायम रखें और हर किसी के साथ बराबरी का व्यवहार करें। यही मोहम्मद साहब की असली शिक्षा है और यही समाज को बेहतर बना सकता है। जुलूस के दौरान आलूमा ने तकरीर पेश की और सलातो सलाम तथा फातिहा खानी की गई। इस auser पर DIG.Plamu ने नात शरीफ parh के लोगों का दिल जीत लिया…
इसके बाद आधिकारिक रूप से जुलूस का समापन हुआ और तमाम लोग अपने-अपने रूट से वापस लौट गए। इस मौके पर शहर की मस्जिदों और घरों को सजाया गया था। कुरआन की तिलावत और नात-ए-रसूल का आयोजन हुआ। गरीबों और जरूरतमंदों के बीच खाने-पीने की चीजें बांटी गईं। पूरा शहर आध्यात्मिक और धार्मिक वातावरण से सराबोर रहा। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि ईद-ए-मिलादुन्नबी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत से बढ़कर कुछ भी नहीं है। मोहम्मद साहब का जीवन हमें सच्चाई, नेकनीयती और इंसाफ की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। शहरवासियों ने इस जुलूस और कार्यक्रम को भाईचारे की मिसाल बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में आपसी सौहार्द और मेल-जोल और भी मजबूत होता है।