लद्दाख के प्रख्यात जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गितांजली जे अंगमो ने 2 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका दाखिल कर उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत को चुनौती दी। वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में उन्हें जोधपुर जेल में रखा गया है। याचिका में वकील सर्वम रितम खरे के माध्यम से कहा गया कि हिरासत के एक सप्ताह बाद भी वांगचुक की स्थिति, स्वास्थ्य, या हिरासत के आधारों की जानकारी नहीं दी गई। दशहरा अवकाश के कारण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 6 अक्टूबर के बाद संभव है।
वांगचुक की गिरफ्तारी 24 सितंबर को लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हुई, जिसमें चार नागरिकों की मृत्यु और 90 से अधिक लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारी लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा और आदिवासी क्षेत्रों के लिए छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे थे। प्रशासन ने वांगचुक पर भीड़ को भड़काने और पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी से संपर्क का आरोप लगाया, जिसे अंगमो ने “विच-हंट” करार देते हुए खारिज किया। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, और लद्दाख के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। याचिका में वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा न बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई।
यह मामला लद्दाख में केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से चल रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करता है। लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) जैसे संगठन केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन मांगें पूरी न होने से तनाव बढ़ा है। वांगचुक की हिरासत ने प्रदर्शनकारियों में आक्रोश को और बढ़ाया है, और अंगमो ने इसे “अवैध और असंवैधानिक” बताया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका ने NSA के उपयोग और लद्दाख की राजनीतिक मांगों पर बहस को तेज कर दिया है, जो क्षेत्र की स्वायत्तता और विकास के सवालों को राष्ट्रीय चर्चा में लाएगा।