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गढ़वा में DC का अल्टीमेटम: “झोलाछाप डॉक्टरों की खैर नहीं! 2 नोटिस के बाद क्लिनिक सील, अल्ट्रासाउंड बिना लाइसेंस चले तो जेल!”

04 दिसंबर 2025: PC&PNDT और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर मेगा वर्कशॉप, उपायुक्त दिनेश यादव ने सभी डॉक्टरों-क्लिनिक मालिकों को सख्त हिदायत—“बिना रजिस्ट्रेशन-योग्यता के एक भी मरीज मत छूना!”

December 4, 2025
in Jharkhand, Top News
गढ़वा में DC का अल्टीमेटम: “झोलाछाप डॉक्टरों की खैर नहीं! 2 नोटिस के बाद क्लिनिक सील, अल्ट्रासाउंड बिना लाइसेंस चले तो जेल!”
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🔹 PC&PNDT Act एवं The Clinical Establishment Act अन्तर्गत एक दिवसीय कार्यशाला -सह- समीक्षात्मक बैठक का आयोजन

🔹 सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार स्वास्थ्य केंन्द्रो का करें संचालन- उपायुक्त

🔹 CEA के तहत न्यूनतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सभी नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों का पंजीकरण और विनियमन अनिवार्य- उपायुक्त

🔹 क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट से जुड़े प्रावधानों के अनुरूप ही चिकित्सालयों का हो संचालन, स्वास्थ्य केंन्द्रो में मान्यता प्राप्त ही चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी सुनिश्चित करने का निदेश

आज दिनांक- 04 दिसंबर 2025 को नगर भवन गढ़वा में उपायुक्त दिनेश यादव की अध्यक्षता में PC&PNDT Act, 1994 एवं The Clinical Establishment (Registration and Regulation) Act 2010 & Jharkhand State Clinical Establishment (Registration and Regulation) Rules 2013 अन्तर्गत एक दिवसीय कार्यशाला -सह- समीक्षात्मक बैठक का आयोजन किया गया। आज के कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना है। स्वास्थ्य केंन्द्रो में सुविधाओं और सेवाओं के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त दिनेश यादव, अनुमंडल पदाधिकारी रंका रुद्र प्रताप, सिविल सर्जन जे एफ कैनेडी एवं मंचासिन अन्य पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई।

इस एक दिवसीय कार्यशाला में जिलेभर के सभी मेडिकल प्रैक्टिशनर, निजी अस्पताल संचालकों, क्लिनिक प्रतिनिधि, कथित रूप से झोलाछाप चिकित्सकों (Quacks) समेत गणमान्य व्यक्तियों एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थें, जिन्हें चिकित्सालयों के संचालन एवं संचालकों के लिमिटेशन, अर्हता व न्यूनतम मानकों के अनुपालन हेतु पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994 एवं क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट से जुड़े प्रावधानों के बारे में अवगत कराया गया। इस दौरान प्रेजेंटेशन के माध्यम से लोगों को अवगत कराया गया कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 भारत सरकार ने 2010 में इसे लागू किया है, जिसका मकसद हेल्थकेयर सर्विस को रेगुलेट करना और उनका स्टैंडर्ड बढ़ाना है। यह आर्म्ड फोर्स के तहत आने वाली जगहों को छोड़कर सभी क्लिनिकल जगहों (पब्लिक और प्राइवेट) पर लागू होता है। साथ ही क्वालिटी, ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी भी तय करता है।

उपायुक्त दिनेश यादव ने कार्यशाला में आए सभी स्टेकहोल्डर का स्वागत किया तथा पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट 1994 एवं दी क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) रूल 2013 के विषय में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि जिले में हेल्थ केयर की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है जितनी अपेक्षा रखी जाती है। स्वास्थ्य सुविधाओं में आवश्यक सुधार करना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि किसी भी चिकित्सालय अथवा स्वास्थ्य केंद्र का संचालन दी क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) रूल 2013 के अनुरूप करना आवश्यक है, जिसके तहत मान्यता प्राप्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मी द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सरकार द्वारा निहित प्रावधानों के अनुरूप यदि स्वास्थ्य केंन्द्रो अथवा चिकित्सालय का संचालन नहीं किया जाता है तो उसे गैरकानूनी माना जाएगा। उन्होंने बताया कि कई ऐसी व्यवस्था है या रोजगार के साधन है जो सरकार द्वारा जारी प्रावधानों के अनुरूप ही संचालित की जा सकती है, जिसमें हेल्थ केयर जैसे व्यवसाय भी आते हैं। हेल्थ केयर सेंटर के संचालन हेतु ही तक क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) है। उन्होंने अपने संबोधन में मुख्य बातें कही, जिनमे किसी भी चिकित्सालय में योग्य एवं प्रशिक्षण व मान्यता प्राप्त, डिग्री प्राप्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी का होना आवश्यक है। मान्यता प्राप्त चिकित्सकों द्वारा ही इलाज की कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए एवं सभी संबंधित अस्पतालों हेल्थ केयर सेंटर आदि में सभी आवश्यक साइनेज प्रदर्शित होना आवश्यक है, जिसमें चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों, हेल्पलाइन नंबर, ड्यूटी चार्ट एवं क्लिनिक अथॉरिटी सर्टिफिकेट आदि का डिस्प्ले स्वास्थ्य केंद्र के अंदर व बाहर करना अनिवार्य है। उन्होंने उक्त निर्देशों के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित चिकित्सकों हेल्थ सेंटर्स आदि के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निहित प्रावधानों के अनुरूप कार्य करने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर सुधार की परिकल्पना है। जिले में कार्य करने वाले तथा कथित झोलाछाप डॉक्टर (क्वेक्स) अन्य चिकित्सकों को भी उक्त प्रावधानों के अनुरूप कार्य करने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। ऐसे सभी चिकित्सालयों के संचालक, जो पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट एवं क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं हैं, से उपायुक्त ने अपील किया कि वह सरकार द्वारा तय किए गए मानकों के अनुरूप अपने क्लीनिक का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करा लें। उन्होंने हॉस्पिटल बिल्डिंग बायोलॉज के अनुसार ही हॉस्पिटल का निर्माण करने की बात कही, जिसके अंतर्गत पार्किंग, फायर सेफ्टी, लिफ्ट एवं सभी मिनिमम फैसेलिटीज आदि की व्यवस्था होना आवश्यक बताया। उन्होंने सभी हेल्थ क्लिनिक को अपने-अपने लॉचेस कमी को सुधारने की सलाह दी। उन्होंने सभी चिकित्सकों से सकारात्मक दृष्टिकोण से आम जनों व मरीजों की सेवा/ईलाज करने की बात कही। पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड केंद्र के संचालकों के लिए अहर्ता रखने की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही। साथ ही वैसे अल्ट्रासाउंड सेंटर जिनका लाइसेंस पूर्ण हो गया है, उन्हें लाइसेंस रिनुअल के लिए आवेदन करने का निदेश दिया गया। उपायुक्त ने कहा कि बिना लाइसेंस रिन्यूअल के अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन ना हो, यह सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने पीसी & पीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर के बाहर व अंदर समान रूप से डॉक्टर का नाम, मोबाइल नंबर एवं फोटो लगवाना अनिवार्य बताया। साथ ही केंद्र के बाहर व अंदर “यहां लिंग परीक्षण नहीं होता है” से संबंधित डिस्प्ले बोर्ड लगाना भी आवश्यक बताया। उपायुक्त ने नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। वैसे केंद्र जो नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें दो बार नोटिस देते हुए अविलंब सील करने को कहा गया। उन्होंने ऐसे सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र एवं क्लिनिकों को सरकार द्वारा निहित प्रावधानों के अंतर्गत पंजीकृत करने की अपील की। अन्यथा अनाधिकृत रूप से अथवा अयोग्य चिकित्सकों द्वारा संचालित किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों या हेल्थ सेंटर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात कही। इस दौरान उन्होंने कार्यशाला में आए विभिन्न चिकित्सकों, हेल्थ सेंटर संचालकों, प्रैक्टिशनर्स, क्वेकस् एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं से संवाद भी स्थापित किया। उनकी समस्याएं सुनी एवं उसके यथासंभव निराकरण करने की बात कही। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि उनका फर्ज है कि मरीजों के इलाज के साथ-साथ उन्हें अच्छे खान-पान व अच्छे जीवन शैली अपनाने के बारे में प्रेरित करें। अनाधिकृत व अवैध रूप से संचालित किए जाने वाले हेल्थ सेंटर एवं अयोग्य चिकित्सकों के जांच करने हेतु इंस्पेक्शन फॉर्मेट बनाते हुए सभी जांच दल के पदाधिकारी को देने हेतु उपायुक्त ने सिविल सर्जन डॉक्टर जे एफ केनेडी को निर्देशित किया।

सिविल सर्जन ने भी अपने संबोधन में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट एवं पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के बारे में विस्तार से लोगों को बताया तथा इसके उद्देश्यों से अवगत कराया। बताया कि यह अधिनियम देश भर में नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों (अस्पतालों, क्लिनिकों, डायग्नोस्टिक सेंटरों) के पंजीकरण और विनियमन के लिए न्यूनतम मानकों को निर्धारित करता है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक और निजी, सभी प्रकार के चिकित्सा संस्थानों के लिए बुनियादी ढाँचे, सुविधाओं और सेवाओं के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करके स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे प्रैक्टिशनर हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद लोगों का इलाज करते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में कई बार अनजाने में गलतियाँ हो जाती हैं, जो आगे चलकर जटिल परिस्थिति उत्पन्न कर सकती हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य सभी को सही जानकारी उपलब्ध कराना और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाना है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमों में किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं बरती जाएगी। मौके पर योग्य, अयोग्य चिकित्सकों को उनके लिमिटेशन एवं उनके द्वारा किये सकने वाली कार्यों के बारे में बताया गया। कार्यशाला के दौरान एक्ट के तहत इसके की-फीचर्स, मिनिमम स्टैंडर्ड, रिस्पांसिबिलिटी, पेनल्टी, क्या करें-क्या ना करें, हेल्थ सेंटर के संचालन हेतु क्राइटेरिया आदि के बारे में बताया गया तथा हेल्थ सेंटर के संचालक को एवं चिकित्सकों से अपील की गई थी वह क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट एवं पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत ही हेल्थ सेंटर या अल्ट्रासाउंड का संचालन करें।

उक्त कार्यशाला मे अन्य पदाधिकरियों, सरकारी व प्राइवेट चिकित्सकों,, प्रैक्टिसनर्स, गणमान्य व्यक्तियों सामाजिक कार्यकर्ताओं, क्वेकस आदि के द्वारा भी अपने-अपने पक्ष में समस्यायें व सुझाव साझा किए गए।

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