Desk. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही बिहार सरकार को रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड भी देने को कहा है। इस मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच में इस मामले में सुनवाई की।
बता दें कि आनंद मोहन के खिलाफ कोर्ट में दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा देवी ने याचिका दायर की है। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि जब आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई तो उनकी रिहाई 15 साल में कैसे हो गई।
बता दें कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल मैनुअल 2012 में बदलाव किया था। इसके तहत सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हत्या को भी सामान्य हत्याकांड की तरह कर दिया गया। पहले प्रावधान था कि सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हत्या करने वालों को रिहाई में छूट नहीं मिलेगी। इस बदलाव के बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद 27 अप्रैल को आनंद मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया।









