Desk. सुप्रीम कोर्ट में अडानी-हिंडनबर्ग मामले की आज सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने जांच के लिए सेबी की छह महीने की मांग को ठुकराते हुए तीन महीने में जांच करने के आदेश दिये हैं। इससे पहले सुनवाई के दौरान शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी ने कोर्ट से अडानी मामले की जांच को पूरा करने के लिए छह महीने की और मांग की। सेबी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि मामले को देखते हुए छह महीने का और समय चाहिए।
इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सेबी की जांच पूरी करने के लिए छह महीने की मांग उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हम मध्य अगस्त के आसपास सुनवाई करेंगे और तीन महीने के भीतर आप जांच पूरी कर लें। चीफ जस्टिस ने कहा हमने जो कमिटी बनाई थी, उसे अबतक पढ़ा नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सोमवार को सुनवाई के दौरान सेबी के आवेदन पर विचार करेंगे।
हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि सेबी IOSCO का पार्टनर है, जिसका सदस्य टैक्स हेवेन देश भी हैं। IOSCO की संधि के मुताबिक कोई भी देश किसी भी प्रकार की जानकारी मांग सकता है और इसमें कुछ गुप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सेबी पहले भी जानकारी मांग सकती थी. सरकार के मुताबिक सेबी 2017 से जांच कर रही है। प्रशांत भूषण ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए सेबी के 19 दिसंबर 2022 को जारी मास्टर सर्कुलेशन में कहा है कि सभी निवेशकों को के लिए लाभार्थी मालिकों के नाम का खुलासा करना जरुरी है।
बता दें कि 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट की जांच करने और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी ( SEBI) के मौजूदा रेग्युलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक्सपर्ट कमिटी का गठन किय था। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए एम सापरे के नेतृत्व में कमिटी का गठन किया है, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ रहे के वी कामथ, इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि सदस्य बनाये गए थे।