झारखंड के चतरा जिले का तमासिन जल प्रपात प्राकृतिक सौंदर्य, मनोहारी दृश्य के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. झारखंड राज्य के चतरा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर कोल्हिया प्रखंड के तुलबुल पंचायत में तमासिन जल प्रपात स्थित है. फल्गु नदी के सहायक नदी महाने नदी पर तमासिन जलप्रपात स्थित है. तमासिन स्थल पर महाने नदी दो पहाड़ियों को चीरते हुए बहती है. यहां की खुबसुरती इतनी मनोरम है कि यहां घुमने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. नदी की भ्रंश घाटी से होकर गुजरने के कारण मुलायम चट्टानों के कटाव के कारण प्रकृति की अद्भुत नक्काशीदार कारीगरी देखने को मिलती है. दो पहाड़ों के बीच से गुजरती हुई नदी की धारा पत्थर और चट्टानों के बीच से नुकाछूपी करते हुए बहती है. नदी में छोटे-बड़े अनेक जलप्रपात मनोहारी दृश्य उत्पन्न करते हैं.
गुफा में था देवी-देवताओं का वास
यहां एक गुफा है, जहां मां दुर्गा का वास है. इसे तमासिन माता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि तमासिन माता भाई-बहनों में सबसे छोटी थी. जो लोगों की हर मनोकामना पूरा करती थीं. यहां हिंदू धर्म की पवित्र तिथियों पर भजन कीर्तन मुंडन बकरे की बलि आदि की प्रथा प्रचलित है. इस गुफा का रहस्य अति प्राचीन है. ऐसा माना जाता है कि इस गुफा के एक द्वार अंगमारी राजा के महल में खुलता था.
स्थानीय लोगों की मान्यता अद्भुत
इस गुफा को लेकर स्थानीय लोगों की मान्यता अद्भुत है. लोगों की मान्यता है कि प्राचीन काल में इस गुफा में देवी-देवताओं का वास होता था. स्थानीय मनोज कुमार पांडेय के अनुसार एक वक्त था जब प्रसाद ग्रहण करने के लिए खुद देवी-देवता गुफा से बाहर आते थे. उस वक्त बगल के गांव में एक परिवार ने गुफा में जाकर पूजा-अर्चना की. उसी वक्त यहां मुंडन करने आए नाई का सामान गुफा के पास रह गया. उस वक्त ऐसा माना जाता है कि उस वक्त एक बार वहां से वापस आने के बाद लोगों के वहां जाने पर मनाही थी, लेकिन नाई जिद्दी करके वहां चला गया. ऐसी मान्यता है कि नाई ने सभी देवी-देवताओं को वहां एक साथ देखा था. इसी से नाराज होकर देवताओं ने श्राप दिया और गुफा हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया. मनोज पांडेय बताते हैं कि वहां से लौटने के बाद वो नाई भी पागल हो गया.
तमासिन की पानी ठीक होते हैं पुराने रोग
स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां के पानी अद्भुत शक्ती है. यहां का पानी पीने से लोगों के रोग दूर होते हैं.
क्या कहता है विज्ञान ?
विज्ञान का मानना है कि यह एक भौगोलिक घटना प्रतीत होती है. भूगर्भिक हलचल कारण शायद दरार बन गया. और इसी दरार ने गुफ़ा का रूप ले लिया.
गुफा के बाहर पहन या नया द्वारा माता की पूजा की जाती है. यहां आने वाले पर्यटक मां के दरबार में माथा टेकना नहीं भूलते. आसपास के इलाकों में इस माता के प्रति लोगों में काफी श्रद्धा है. लोगों में यह विश्वास है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
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