रामगढ़ के नईसराई स्थित माइंस रेस्क्यू सभा भवन में अबुआ संथाल समाज भारत दिशोम के केंद्रीय कमिटी विस्तार समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मांझी हडाम विनोद किस्कू और मांझी हडाम मनोतन के नेतृत्व में झारखंड के साथ-साथ बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मिजोरम, महाराष्ट्र, असम, बंगाल, नेपाल, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से सैकड़ों लोग शामिल हुए। समारोह में 16 जून को रामगढ़ के सिद्धू-कान्हू मैदान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की योजना तैयार की गई। इस आयोजन का उद्देश्य संथाल समाज को सशक्त बनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह समारोह आदिवासी समाज की एकता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

- संस्कृति, शिक्षा और सरना धर्म कोड की मांग
कार्यक्रम में नेताओं ने संथाल समाज की रूढ़िवादी परंपराओं, संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है, और अपने अधिकारों को समझने के लिए पढ़ना-लिखना जरूरी है। साथ ही, जल, जंगल और जमीन जैसे आदिवासी धरोहरों के साथ छेड़छाड़ और अतिक्रमण के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि आदिवासी समाज इस पृथ्वी पर सबसे पहले आया और अपनी संस्कृति को जीवित रखते हुए प्रकृति की रक्षा की है। इस अवसर पर झारखंड के आदिवासियों के लिए सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग को केंद्र सरकार के समक्ष रखा गया, जो आदिवासी पहचान और आस्था को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। - आदिवासी एकता और भविष्य की योजना
यह समारोह न केवल संथाल समाज की एकता का प्रतीक बना, बल्कि उनके अस्तित्व और धरोहरों की रक्षा के लिए एक मजबूत संकल्प को भी दर्शाता है। सिद्धू-कान्हू मैदान में प्रस्तावित 16 जून का कार्यक्रम समाज को और सशक्त बनाने और उनकी सांस्कृतिक विरासत को प्रचारित करने का एक बड़ा मंच होगा। इस आयोजन में शामिल लोगों ने आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास और उनकी प्रकृति के साथ सहजीवन की भावना को रेखांकित किया।
-रिपोर्टर: अमन कुमार मिश्रा