नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के सऊदी दौरे की काफी चर्चा है। वहां उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ-साथ UAE और सऊदी अरब के टॉप लीडरशिप संग बैठक की है। दरअसल, एक अहम प्रोजेक्ट के सिलसिले में डोभाल मध्य पूर्व क्षेत्र में हैं। यह महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट क्षेत्र में बेल्ट और रोड पहल (BRI) के जरिए चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाएगा।
ऑस्ट्रेलिया में क्वॉड समिट से इतर डोभाल, सुलिवन समेत कई दिग्गज फिर से मिलने वाले हैं। भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी पश्चिम एशियाई देशों को रेल नेटवर्क से जोड़ने के मिशन पर काम कर रहे हैं। प्रस्ताव अमेरिका ने रखा है और समंदर के रास्ते दक्षिण एशिया को भी जोड़ने का प्लान है। इस प्रोजेक्ट में भारत का बड़ा रोल है। अमेरिका चाहता है कि भारत रेलवे में अपनी विशेषज्ञता का यहां इस्तेमाल करे। इससे भारत को डबल फायदा होने वाला है, साथ ही चीन का दबदबा भी घटेगा।
चीन का घटेगा दबदबा
रविवार को डोभाल ने अमेरिका और UAE के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बातचीत की है। अमेरिकी मीडिया के हवाले से कहा जा रहा है कि मध्य पूर्व में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए अमेरिका ने यह पहल की है। सामरिक उद्देश्यों के हिसाब से देखें तो भारत भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रहा है। सूत्रों के हवाले से चीन ने पश्चिम एशिया में राजनीतिक प्रभाव काफी बढ़ा लिया है। चीन के नेतृत्व में सऊदी और ईरान के बीच समझौता हुआ है, जिससे भारत अलर्ट हो गया है। पश्चिम एशिया क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से अहम है।
समंदर के रास्ते दक्षिण एशिया से जोड़ने का प्लान
अगर अमेरिका के इस प्रोजेक्ट पर बात बनती है तो भारत को सीधे तौर पर फायदा हो सकता है। पश्चिम एशिया में रेल नेटवर्क फैलेगा और इस इलाके को समंदर के रास्ते दक्षिण एशिया से जोड़ने का भी प्लान है। यह सफल रहा तो बहुत तेजी से कम खर्च में भारत तक तेल और गैस की आपूर्ति हो सकेगी। इस तरह रेल लिंक से जुड़ने से खाड़ी देशों में रहने वाले लाखों भारतीयों को भी फायदा होने वाला है। एक्सपर्ट मानते हैं कि भारत अपनी रेलवे विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर पश्चिम एशिया में इस प्रोजेक्ट को पूरा करता है तो ‘रेलवे बिल्डर’ के तौर पर भारत की दुनिया में साख बढ़ेगी।
भारत के हित में है यह प्रोजेक्ट
भारत अपनी सरकारी और निजी कंपनियों के लिए भी पश्चिम एशियाई देशों में नए मौके देख रहा है। बॉर्डर पर सिरदर्द बन चुके चीन के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए यह प्रोजेक्ट भारत के हित में है। भारत की सीधी पहुंच अरब और खाड़ी देशों तक होगी।









