बेंगलुरु की विशेष अदालत ने 27 सितंबर 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ चुनावी बॉन्ड का उपयोग कर ‘वसूली’ के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। यह आदेश एक याचिका के आधार पर दिया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सीतारमण और अन्य भाजपा नेताओं ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अवैध धन एकत्र किया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कॉर्पोरेट संस्थाओं को चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए मजबूर किया गया और इन बॉन्ड्स का उपयोग भाजपा नेताओं द्वारा किया गया।
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निर्मला सीतारमण का बचाव किया है और आरोपों को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। भाजपा ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड एक नीति मामला है, न कि आपराधिक। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है, तो सीतारमण और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस और अन्य एजेंसियां इस मामले की गहन जांच कर रही हैं और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
इस घटना ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जनता और विपक्षी दलों ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि यह मामला भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। जनता में भी इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे राजनीतिक प्रतिशोध मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं।