बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार असली मुकाबला सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि अपने ही नेताओं से है। कई सीटों पर टिकट न मिलने या अंदरूनी नाराजगी के कारण बागी उम्मीदवारों ने सियासत का खेल पूरी तरह पलट दिया है। ये नेता, जो कभी अपनी पार्टी की पहचान थे, अब पुराने घर के खिलाफ ही मैदान में उतर आए हैं। मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ उनके ही गुट के कई बागी उम्मीदवार खड़े हैं, जिससे JDU और RJD दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कटिहार और सीमांचल जैसे इलाकों में भी बाहुबलियों और स्थानीय नेताओं की बगावत ने वोटों का समीकरण गड़बड़ा दिया है। बागी उम्मीदवार आमतौर पर अपने ही दल के वोट बैंक में सेंध लगाते हैं, जिससे वोट कटाव होता है और नतीजों पर सीधा असर पड़ता है। गठबंधनों में भी हलचल मच गई है, जहां कार्यकर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा कि किसके लिए प्रचार करें।
नामांकन प्रक्रिया के अंत के साथ ही NDA और महागठबंधन में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। BJP के कई नेता, जैसे बरह के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं, और टिकट न मिलने पर निर्दलीय या अन्य दलों से चुनाव लड़ने की धमकी दे रहे हैं। राजाuli में BJP के पूर्व विधायक अर्जुन राम ने 2020 में निर्दलीय लड़कर 14,400 वोट हासिल किए थे, जिससे BJP की हार हुई थी। कसबा में BJP के पूर्व उम्मीदवार प्रदीप कुमार दास ने LJP टिकट पर 60,000 वोट लिए, और सीक्ता में BJP के दिलीप वर्मा ने निर्दलीय लड़कर दूसरे स्थान पर रहकर JDU को तीसरा स्थान दिला दिया। महागठबंधन में भी गौरा-बौराम सीट पर RJD और कांग्रेस के बीच विवाद ने गठबंधन को कमजोर किया है। JD(U) ने अमौर सीट पर बागी अल्टाफ आलम को निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर सभा जफर को हटाया, जिससे NDA में हलचल मच गई।
चुनाव आयोग ने 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान की घोषणा की है, और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। बागी उम्मीदवारों ने कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बना दिया है, खासकर जहां 2020 में जीत 1,000 वोटों से हुई थी। प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर हलचल बढ़ा दी है। NDA ने 71 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तरापुर से लड़ेंगे, जबकि कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची दी, जिसमें 3 महिलाएं हैं। महागठबंधन में सीट बंटवारे पर विवाद जारी है, लेकिन NDA ने अपनी रणनीति तय कर ली है। ये बागी उम्मीदवार चुनावी हलचल बढ़ा रहे हैं, और परिणामों पर उनका असर तय माना जा रहा है।










