- कारोबारी और कंपनियों पर ईडी की नजर
छापेमारी के केंद्र में रांची के कारोबारी विमल अग्रवाल और पुनीत अग्रवाल के ठिकाने रहे, जिनके राजवीर कंस्ट्रक्शन कार्यालय पर भी ईडी ने कार्रवाई की। बोकारो में 74.38 एकड़ जमीन खरीदने वाली कंपनी उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े लोगों को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है। वन विभाग का दावा है कि यह जमीन प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट क्षेत्र की है, जबकि जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल पक्षों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने 1933 में ब्रिटिश शासन के दौरान सरकार की नीलामी में इसे खरीदा था। यह ऐतिहासिक दावा और वर्तमान विवाद घोटाले की जटिलता को और बढ़ा रहा है। ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध भूमि हस्तांतरण के आरोपों की गहराई तक जाने का प्रयास है।
- घोटाले की परतें
बोकारो वन भूमि घोटाला न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि झारखंड की राजनीति और प्रशासन में भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है। वन विभाग और खरीद-बिक्री में शामिल पक्षों के परस्पर विरोधी दावों ने इस मामले को और उलझा दिया है। ईडी की छापेमारी से सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की संभावना उजागर हुई है। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि ईडी इस घोटाले के हर पहलू की गहन जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है, जो इस मामले में शामिल बड़े नामों और उनके नेटवर्क को सामने ला सकता है।