चैत्र पूर्णिमा 2025, हिंदू कैलेंडर में साल की पहली और सबसे खास पूर्णिमा मानी जाती है। इस बार चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती का शुभ संयोग भी बन रहा है, जिससे यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण हो गया है। पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल 2025 को रात 3:21 बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल 2025 को सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर विजय मुहूर्त और गोधूलि काल तक पूजा और साधना का विशेष महत्व है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना के साथ-साथ भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा से सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
इस विशेष दिन पर श्रद्धालु खीर, फल, और फूल का भोग अर्पित कर “ॐ श्रीं श्रीये नमः” मंत्र का जाप करते हैं। घर की साफ-सफाई और दीपक जलाने से शुभ वातावरण बनता है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। मानसिक शांति की चाह रखने वाले भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दूध से करते हैं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं। साथ ही, बेलपत्र और सफेद फूल अर्पित कर शिव आराधना से जीवन की उलझनों और तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है।
चैत्र पूर्णिमा का महत्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता है। हनुमान जयंती के साथ आने वाले इस शुभ अवसर पर भगवान हनुमान की पूजा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में शक्ति और उत्साह का संचार होता है। यह दिन परिवार के सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है।