रांची: होली का त्योहार आने वाला है, जमकर नॉनवेज खाने का प्लान है, तो फिर जरा संभलकर. बोकारो में बर्ड फ्लू की दस्तक हो गई है. जो बड़ी चेतावनी लेकर आई है. खतरा कितना बड़ा हो सकता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र ने संक्रमण के आंकलन को लेकर दो अलग-अलग टीमों को जिम्मदारी सौंपी है. ICAR लैब, भोपाल ने बोकारो फॉर्म से भेजे गए सैंपल में बर्ड फ्लू की पुष्टि की है. जिसके बाद केंद्र और राज्य दोनों अलर्ट पर हैं.
मछली और मटन का रुख कर रहे लोग
राज्य के दूसरे हिस्से और पड़ोसी राज्यों में भी संक्रमण के फैलने के आसार हैं. ऐसे में सावधानी जरुरी हो गई है. लोगों को नॉन वेज, खासकर मुर्गी, बतख खाने से बचने की हिदायत दी जा रही है. जिसका असर इसके बाजार पर भी दिखने लगा है, मुर्गे-मुर्गियों की बिक्री में कमी आई है, तो वहीं लोग मछली और मटन की तरफ रुख कर रहे हैं.
मुर्गियों की मौत और सेमल के फूल का कनेक्शन
मुर्गियों के मरने को लेकर हमने रांची के बड़ा तालाब के पास मुर्गी फॉर्म संचालक अब्दुल शकूर से जानने कि कोशिश की. तो उनका कहना है कि पतझड़ के इस मौसम में यानि हर वर्ष फरवरी के आसपास मुर्गियों के मरने के मामले सामने आते हैं, हर बार ये बर्ड फ्लू नहीं होता. इस दौरान मौसम अपना रुख बदलता है. रात में ठंड और दिन में गर्मी पड़ती है और इस क्लाइमेट में बॉयलर मुर्गे-मुर्गियां खुदको ढाल नहीं सकते और इनके मरने के मामले बढ़ जाते हैं. वहीं उन्होंने सेमर के फुल से भी इसका कनेक्शन बताया, उनके मुताबिक इस दौरान सेमल का फूल खिलता है और इससे कुछ कीड़े निकलते हैं जिनकी चपेट में मुर्गे मुर्गियां आ जाती हैं और ये एक दूसरे में फैलती जाती हैं. हालांकि इससे इंसानों में किसी तरह के संक्रमण के फैलने का कोई डर नहीं होता है. मौसम के पूरी तरह गर्म होने के बाद स्थिति सामान्य हो जाती है और मुर्गियों के मरने की शिकायते भी कम हो जाती हैं.