08 दिसंबर 2025 को NDTV के एक इवेंट में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण के हॉटस्पॉट पर पानी छिड़काव का बचाव करते हुए कुछ ऐसा कह दिया कि पूरा हॉल हंस पड़ा। विपक्ष के आरोप पर उन्होंने कहा—“हॉटस्पॉट जहां सबसे ज्यादा प्रदूषण है, वहां पानी छिड़काव ही एकमात्र समाधान है। AQI तो एक तरह का टेम्परेचर है, जो किसी भी इंस्ट्रूमेंट से मापा जा सकता है।” यह बयान सुनते ही पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने तुरंत ट्वीट कर चुटकी ली—“ये नया विज्ञान कब आया कि AQI अब टेम्परेचर बन गया?” केजरीवाल ने आगे आरोप लगाया कि BJP सरकार AQI मॉनिटर पर ही पानी छिड़क रही है ताकि असली आंकड़े जनता तक न पहुंचें।
गुप्ता ने आगे सफाई दी—“हम रोड वॉशिंग, इंस्पेक्शन और स्प्रिंकलर्स से काम कर रहे हैं। कोई जादू की छड़ी नहीं है, बदलाव में समय लगता है।” लेकिन विपक्ष ने इसे डेटा मैनिपुलेशन का सबूत बताया। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा—“मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया कि मॉनिटर पर पानी छिड़काव हो रहा है, ताकि ‘साफ हवा’ दिखे।” दिल्ली का AQI उस दिन 314 था, जो ‘पुअर’ कैटेगरी में था। पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन और कंस्ट्रक्शन धूल ने सर्दियों की स्मॉग को और घना बना दिया। BJP ने इसे ‘लेगेसी प्रॉब्लम’ बताया, लेकिन विपक्ष ने सरकार पर आंकड़े छुपाने का इल्जाम लगाया।
यह विवाद दिल्ली के पुराने प्रदूषण संकट को फिर उजागर कर गया। गुप्ता ने कहा कि त्योहारों के बाद भी AQI को कंट्रोल करने की कोशिश हो रही है, लेकिन केजरीवाल ने इसे ‘नया विज्ञान’ करार दिया। अब सवाल उठ रहा है—क्या पानी छिड़काव प्रदूषण कम करता है या सिर्फ आंकड़े? दिल्ली की सड़कें जहरीली सांस ले रही हैं, और राजनीतिक बयानबाजी इसका इलाज नहीं लग रही।










