Dengue and Flu : डेंगू और फ्लू के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। अस्पतालों में प्लेटलेट्स का इंतजाम चुनौती बन गई है। सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) किट भी अस्पतालों से खत्म हो रहे हैं। रिम्स-सदर में रोज करीब 100 यूनिट एसडीपी की खपत है, जबकि ब्लड बैंकों में 10-15 यूनिट एसडीपी ही जमा हो रहे हैं। इसलिए मरीजों को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) मुहैया कराया जा रहा है। रिम्स, सदर में एसडीपी जहां 9500 रुपए में मिलते हैं, जबकि आरडीपी महज दो हजार में ही उपलब्ध है। बड़ी बात यह है कि आरडीपी चढ़ाने पर मरीजों को खास लाभ नहीं होता, क्योंकि इसमें प्लेटलेट्स उतने प्रभावी नहीं होते।
रिम्स के डॉक्टर बोले- मरीजों को एसडीपी देना ज्यादा सही
रिम्स ब्लड बैंक के सीनियर रेजीडेंट, डॉ. चंद्रभूषण ने बताया कि मरीजों को एसडीपी देना ज्यादा सही होता है। क्योंकि, रैंडम डोनर वाला प्लेटलेट्स अलग-अलग ब्लड ग्रुप के लोगों के होते हैं। इससे शरीर धीरे-धीरे उन ब्लड ग्रुप्स के खिलाफ एंटी बॉडीज बनाता है, जो भविष्य में प्लेटलेट्स देने पर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। ऐसे में प्लेटलेट काउंट नहीं बढ़ता। कई बार इंफेक्शन का भी खतरा हो जाता है।
डॉ. चंद्रभूषण ने बताया कि मरीजों में 25 हजार से 50 हजार प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए एक यूनिट एसडीपी की जरूरत होती हौ। वहीं आरडीपी के केस में इतने प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए लगभग 6 यूनिट की जरूरत पड़ती है। प्लेटलेट्स घटने से शरीर में आई किसी चोट या ट्राॅमा में रक्तस्राव रोकना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि शरीर में अनावश्यक रक्त रिसाव को रोकने में प्लेटलेट्स मददगार होता है। शरीर में 10 हजार से कम प्लेटलेट्स हो जाए तो जान भी जा सकती है।
डेंगू और वायरल फीवर के लक्षण
डॉ. सोनिया रावत कहती हैं कि डेंगू और वायरल फीवर दोनों के अधिकतर लक्षण एक जैसे होते हैं. दोनों ही संक्रमण की चपेट में आने पर लोगों को बुखार, सिरदर्द, खांसी, शरीर में दर्द, वीकनेस, त्वचा पर लाल चकत्ते और उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं. हालांकि कुछ लक्षणों से यह पहचान की जा सकती है कि बुखार वायरल है या फिर डेंगू की वजह से है. डेंगू होने की कंडीशन में बुखार बहुत तेज आता है और शरीर में अत्यधिक तेज दर्द होता है. डेंगू संक्रमण की वजह से लोगों का प्लेटलेट काउंट तेजी से कम हो जाता है, जबकि वायरल में प्लेटलेट काउंट में गिरावट नहीं होती है. वायरल बुखार 3 से 5 दिनों में आसानी से ठीक हो जाता है, जबकि डेंगू फीवर लंबे समय तक रहता है और तबीयत लगातार बिगड़ती जाती है.