झारखंड विधानसभा में सोमवार को डोरंडा पुलिस की कथित मनमानी का मामला गरमाया। रांची से भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सदन में सूचना के माध्यम से बताया कि दो युवकों को डोरंडा थाना में तीन दिन तक बंधक बनाकर रखा गया और उसके बाद थाना प्रभारी द्वारा पैसे की मांग की गई। उन्होंने खुलासा किया कि इन युवकों का दोष केवल इतना था कि वे अपने निर्माणाधीन घर में पानी पटाने जाते थे। बगल के घर में हुई चोरी के चलते शक के आधार पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। सीपी सिंह ने इस अमानवीय घटना को संविधान के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करार दिया और सरकार से मामले में तुरंत संज्ञान लेने का अनुरोध किया।
सीपी सिंह ने सदन में जोर देकर कहा कि पुलिस का ऐसा व्यवहार न केवल गैरकानूनी है, बल्कि आम नागरिकों के साथ अन्याय भी है। उन्होंने कहा कि पूछताछ के लिए पुलिस किसी को भी बुला सकती है, लेकिन थाने में 72 घंटे तक रोकना कानून के खिलाफ है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आरोप लगाया कि थाने में दारोगा के माध्यम से पैसे की मांग की गई, जो पुलिस प्रशासन की भ्रष्टाचार प्रवृत्ति को उजागर करता है। विधायक ने इसे गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया।
इस मामले को लेकर विधानसभा में गंभीर चर्चा हुई। पुलिस प्रशासन की ऐसी गतिविधियां कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं। विधायक द्वारा उठाए गए मुद्दे ने सरकार पर दबाव बनाया कि वह इस मामले की जांच करवाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। इस घटना ने कानून व्यवस्था में पारदर्शिता और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है।