- ईद-मिलाद-उन-नबी पर सौहार्द व सुरक्षा को लेकर डीआईजी ने जारी किए संवेदनशील निर्देश
- पलामू प्रक्षेत्र में सभी जिलों को सतर्क रहने का आदेश, सोशल मीडिया और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर विशेष निगरानी
मेदिनीनगर: ईद-मिलाद-उन-नबी पर्व को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाए जाने के उद्देश्य से पलामू प्रक्षेत्र के डीआईजी नौशाद आलम ने पलामू, गढ़वा और लातेहार के उपायुक्तों/ पुलिस अधीक्षकों को संवेदनशील दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाने वाला यह पर्व, पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म दिवस की स्मृति में आयोजित होता है, जिसमें तकरीर, फातिहा, नातिया कलाम और जुलूसों का विशेष महत्व होता है।
डीआईजी नौशाद आलम ने कहा कि ईद-मिलाद-उन-नबी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भाईचारे, सहिष्णुता और अमन का संदेश है। इसे शांतिपूर्ण ढंग से मनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने अपने निर्देशों में कहा कि पर्व से पहले शांति समिति की बैठक आयोजित की जाए, जिसमें दोनों समुदायों के सम्मानित नागरिक, जनप्रतिनिधि और नवयुवकों को आमंत्रित कर संवाद स्थापित किया जाए। समाज के उन प्रभावशाली लोगों से भी संपर्क बनाए रखा जाए जिनकी बातों को समुदाय के लोग सम्मानपूर्वक मानते हैं। इस संवाद का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी तरह की गलतफहमी या टकराव की स्थिति से पूर्व ही निपटा जा सके।
डीआईजी ने प्रशासन से कहा है कि पर्व के अवसर पर निकलने वाले जुलूसों के मार्ग की पूर्व जानकारी ले ली जाए और उसी के अनुसार व्यवस्था की जाए। धार्मिक स्थलों, मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों और पहले से संवेदनशील माने जाने वाले स्थानों पर विशेष पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित की जाए। हर स्तर पर निगरानी बनी रहे और कोई भी अफवाह फैलाने वाला व्यक्ति पुलिस की नजर से बाहर न रहे। उन्होंने ज़ोर दिया कि यदि किसी व्यक्ति या समूह के बारे में पूर्व में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की जानकारी हो, तो ऐसे तत्वों पर कड़ी नजर रखी जाए।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निगरानी को लेकर भी विशेष निर्देश दिए गए हैं। लोगों को जागरूक किया जाए कि किसी भी प्रकार की संदिग्ध या भ्रामक सूचना मिलने पर उसे वायरल करने के बजाय डायल-112 या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। साथ ही, मीडिया प्रतिनिधियों से समन्वय बनाए रखते हुए उनसे अपील की गई है कि खबरों को बढ़ा-चढ़ा कर या तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत न किया जाए, ताकि जनता में भ्रम या भय का माहौल उत्पन्न न हो।
डीआईजी ने यह भी स्पष्ट किया कि पर्व के दिन अवैध शराब की बिक्री और नशे की हालत में जुलूस में शामिल होना किसी भी तनाव का कारण बन सकता है। अतः इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए और यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता पाया जाए तो उसके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जाए।
अंत में उन्होंने कहा कि सभी थानेदार, पुलिस उपाधीक्षक और अन्य अधिकारी पर्व के दिन स्वयं अपने-अपने क्षेत्र में उपस्थित रहें, संवेदनशील क्षेत्रों में निरंतर भ्रमण करें और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि धार्मिक स्थलों, कानों, इबादतगाहों और विवादास्पद स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और पहले से अगर किसी इलाके में धार्मिक झंडा या बैनर लगाए जाने की परंपरा रही हो, तो उसे लेकर कोई नया विवाद उत्पन्न न हो, इसके लिए पहले से स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए जाएं।
डीआईजी नौशाद आलम ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (salllallahe wa alaihe wasalam)साहब का उपदेश इस पर्व में प्रेम, करुणा और इंसानियत और आपसी भाइचारे को आगे बढ़ाना है,और संकल्प ले के अपने जीवन में आत्मसात करना है!प्रशासक की कोशिश है कि हर नागरिक इसे श्रद्धा और उल्लास के साथ मना सके, और किसी भी तरह की अफवाह या अव्यवस्था की कोई गुंजाइश न रहे।