झारखंड के रामगढ़ उपचुनाव को लेकर नाम वापसी की समय सीमा खत्म हो चुकी है. चुनावी दंगल में नामांकन करने वाले 20 लोगों में से दो की उम्मीदवारी रद्द होने के बाद अब 18 योद्धा बचे हैं. जिसमें से एक उम्मीदवार नेशनल पार्टी से है. 2 राज्य की पार्टी और 15 निर्दलीय हैं. उपचुनाव को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां भी जोरो शोर से चल रही हैं. जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त माधवी मिश्रा विभिन्न कोषांगो के वरीय पदाधिकारियों- प्रभारी पदाधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रही हैं. नौ फ्लाइंग स्क्वायड टीम लगातार जांच अभियान चला रही है. रामगढ़ जिले के सभी बॉर्डर को सील कर दिया गया है. जांच अभियान के तहत अब तक लगभग 22 लाख रुपए की अनुमानित अवैध शराब और कैश जब्त किया गया है. असामाजिक तत्वों के खिलाफ 107 और 116 की कार्रवाई की जा रही है.
अब तेज होगा प्रचार वार
रामगढ़ के दंगल में चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद अब जुबानी शोले चलेंगे. चुनावी प्रचार-प्रसार का दौर तेज होगा. कांग्रेस ने अपने कैंडिडेट बजरंग महतो को विजयी बनाने के लिये स्टार प्रचारकों की फौज खड़ी कर रखी है. तो वहीं गठबंधन में सीएम हेमंत सोरेन और जेएमएम- आरजेडी के दिग्गज नेताओं का साथ मिलेगा. तो वहीं आजसू के लिये कमान पार्टी अध्यक्ष सुदेश महतो और गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के हाथों में होगी. एनडीए में सहयोगी बीजेपी के नेता भी आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी के लिये वोट अपील करेंगे.
बदलेगी तस्वरी, या पूरा होगा बदला ?
2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में आजसू और बीजेपी ने अलग अलग चुनाव लड़ा था. रामगढ़ की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी को अप्रत्याशित जीत मिली थी. वहीं सांसद सीपी चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी आजसू के टिकट पर लड़ती हुई दूसरे नबंर पर रही थीं. वहीं बीजेपी ने भी पहली बार इस सीट पर चुनाव लड़ते हुए अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई थी. और एक बार फिर सीधा मुकाबला दोनों ही दलों के बीच दिख रहा है. जहां आजसू ने सुनीता देवी को फिर से मैदान में उतारा है, तो इस बार कांग्रेस ने ममता देवी के पति बजरंग महतो पर हाथ रखा है.
क्यों हो रहा रामगढ़ उपचुनाव ?
झारखंड गठन के बाद पहली बार रामगढ़ में कांग्रेस को जीताने वाली ममता देवी को अदालत ने गोला गोलीकांड में दोषी मानते हुए 5 वर्ष की सजा सुनाई थी. जिसके बाद रामगढ़ की सीट पर उपचुनाव हो रहा है.