दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का निधन शनिवार को हैदराबाद के एक राज्य संचालित अस्पताल में हो गया। 57 वर्षीय साईबाबा को गॉल ब्लैडर संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी सर्जरी हुई थी। हालांकि, सर्जरी के बाद उत्पन्न जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना उनके माओवादी लिंक मामले में बरी होने के सात महीने बाद हुई है।
जीएन साईबाबा को 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने माओवादी लिंक के संदेह में गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) और रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट के सदस्यों के साथ बैठक आयोजित करने में मदद की थी। इस मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, मार्च 2024 में नागपुर बेंच ऑफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें और पांच अन्य को बरी कर दिया था, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है।
सरकार और पुलिस ने इस मामले में गहन जांच की थी। पुलिस ने कई सबूत जुटाए थे, जिनमें साईबाबा के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से प्राप्त दस्तावेज और ईमेल शामिल थे। हालांकि, अदालत ने इन सबूतों को अपर्याप्त माना और साईबाबा को बरी कर दिया। इस मामले ने देशभर में काफी चर्चा बटोरी थी और मानवाधिकार संगठनों ने साईबाबा की गिरफ्तारी और सजा पर सवाल उठाए थे। उनके निधन के बाद, सरकार और पुलिस ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।