रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड, जो अपनी कृषि और सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार झेल रहा है। इस प्राकृतिक आपदा ने क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है, जिनकी आजीविका पूरी तरह कृषि पर निर्भर है। तरबूज, मिर्चा, मकई जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसने हेतमपुर गांव के किसानों जैसे दशमी देवी, तिलचंद महथा, निर्मल महथा, कुलदीप महथा और भवानी महथा को गहरे संकट में डाल दिया। गोला की सब्जियां न केवल झारखंड, बल्कि अन्य राज्यों में भी आपूर्ति की जाती हैं, लेकिन इस बारिश ने किसानों के सपनों को चकनाचूर कर दिया।
हेतमपुर के किसान तिलचंद महथा ने बताया कि उनके खेतों में तैयार तरबूज बिक्री के लिए तैयार थे और व्यापारियों से बातचीत भी हो चुकी थी, लेकिन बेमौसम बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। व्यापारियों ने बारिश के कारण खरीदारी से इनकार कर दिया, क्योंकि इस मौसम में तरबूज की मांग कम हो जाती है। मिर्चा की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ, पौधे मर रहे हैं और दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा। तिलचंद ने कर्ज लेकर खेती की थी, लेकिन नुकसान के कारण लागत भी वसूल नहीं हो सकी, जिसने उन्हें और कई अन्य किसानों को कर्ज के बोझ तले दबा दिया। इस आपदा ने गोला के किसानों की आर्थिक स्थिति को और नाजुक बना दिया है।
किसानों ने संबंधित विभाग और प्रशासन से मुआवजे की मांग की है, ताकि उनकी आर्थिक क्षति की कुछ हद तक भरपाई हो सके। यह बेमौसम बारिश न केवल गोला के किसानों के लिए एक झटका है, बल्कि यह कृषि आधारित क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और अप्रत्याशित मौसम के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करता है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह पीड़ित किसानों की स्थिति का आकलन कर शीघ्र मुआवजा और सहायता प्रदान करे।
-रिपोर्टर: कुमार मिश्रा










