बिहार के गोपालगंज जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहाँ 33 शिक्षकों को एक साथ सेवा से मुक्त कर दिया गया है। जिला अपीलीय प्राधिकरण द्वारा बिना रिक्ति के इन शिक्षकों की नियुक्ति की बात उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाया है। इस कार्रवाई से जिले भर में हड़कंप मच गया है और शिक्षकों के बीच असंतोष की लहर दौड़ पड़ी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार के निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है, जिसमें न केवल शिक्षकों को हटाया जा रहा है, बल्कि उनके वेतन की वसूली का भी आदेश दिया गया है।
- अपील खारिज, समयसीमा तय
इन शिक्षकों ने विभाग के इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन उनकी अपील को भी खारिज कर दिया गया। विभाग ने साफ कर दिया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह नियमों के तहत की जा रही है और इसमें किसी तरह की ढील नहीं बरती जाएगी। सभी संबंधित इकाइयों को 25 मार्च तक इन शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है। साथ ही, हेडमास्टरों को यह भी आदेश दिया गया है कि इन शिक्षकों की आईडी को शिक्षा कोष पोर्टल से निष्क्रिय कर दिया जाए, ताकि कोई तकनीकी खामी न रह जाए। अगर इस समयसीमा का पालन नहीं हुआ, तो इसे उच्च न्यायालय और अन्य अधिकारियों के आदेश की अवहेलना माना जाएगा, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- प्रखंड-wise कार्रवाई का विवरण
इस कार्रवाई के तहत विभिन्न प्रखंडों से शिक्षकों को निशाना बनाया गया है। बकुंठपुर प्रखंड से 14, बरौली से 5, गोपालगंज सदर से 3, कुचायकोट और फुलवरिया से 2-2, जबकि थावे, भोरे, विजयीपुर, पंचदेवरी और मांझा से 1-1 शिक्षक को सेवा से मुक्त किया गया है। यह कदम न केवल अवैध नियुक्तियों पर लगाम लगाने की दिशा में उठाया गया है, बल्कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूत करने का संकेत देता है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है और भविष्य में ऐसी नियुक्तियों को लेकर सतर्कता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।