सिनेमा घरों में फिल्म देखने का अनुभव अक्सर पॉपकॉर्न के साथ पूरा होता है। यह स्नैक्स सिर्फ फिल्म देखने का हिस्सा नहीं, बल्कि दर्शकों के लिए एक अनिवार्य अनुभव बन चुका है। लेकिन अब दर्शकों को स्नैक्स के साथ फिल्म इन्जॉय करने के लिए दो बार सोचना पड़ सकता है। जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक के बाद पॉपकॉर्न की कीमतें एक नई ऊंचाई पर पहुंचने वाली हैं। सरकार के नए निर्णय के अनुसार, अगर पॉपकॉर्न साधारण नमक और मसालों से तैयार किया गया है और वह पैकेज्ड या लेबल्ड नहीं है, तो उस पर 5% जीएसटी लगेगा। लेकिन अगर पॉपकॉर्न पैकेज्ड और लेबल्ड है, तो दर्शकों को 12% जीएसटी का भुगतान करना होगा। वहीं, चीनी जैसे कारमेल से बने पॉपकॉर्न को “चीनी कन्फेक्शनरी” की कैटेगरी में रखा गया है, जिस पर 18% जीएसटी लगेगा।
सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से सिनेमा प्रेमियों के लिए एक चुनौती बन सकता है। महंगे पॉपकॉर्न की कीमतों के चलते, दर्शकों को फिल्म देखने के दौरान अपने स्नैक्स के चुनाव पर दो बार सोचना पड़ सकता है। इस नए जीएसटी का प्रभाव न केवल सिनेमा प्रेमियों पर पड़ेगा, बल्कि सिनेमाघरों के व्यवसाय पर भी गहरा असर डाल सकता है। सिनेमा घरों में पॉपकॉर्न और अन्य स्नैक्स की बिक्री से होने वाली आय भी प्रभावित हो सकती है, जिससे सिनेमाघरों के मालिकों को अपने व्यवसाय के प्रबंधन में कठिनाई हो सकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार का यह फैसला दर्शकों के सिनेमा देखने के अनुभव को कैसे प्रभावित करेगा। क्या दर्शक पॉपकॉर्न का मजा छोड़ देंगे या फिर अपनी आदतों में बदलाव लाएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है कि पॉपकॉर्न का मजा अब कुछ महंगा हो जाएगा। सिनेमा प्रेमियों के लिए यह नया बदलाव कैसा साबित होता है, यह देखने लायक होगा।