Karnataka Elections : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जगदीश शिवप्पा शेट्टार सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। छह बार के विधायक शेट्टार टिकट नहीं मिलने से नाराज थे। शेट्टार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। बीएस येदियुरप्पा के बाद शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। कर्नाटक में लिंगायत वोटर्स की आबादी 17 फीसदी है। कहा जाता है कि लिंगायत वोटर्स किसी का भी कर्नाटक में खेल बना सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। यही कारण है कि अब कर्नाटक की सियासत में खलबली मची हुई है।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद जगदीश शेट्टार ने ये कहा
कांग्रेस में शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए जगदीश शेट्टार ने कहा कि मैंने कल भाजपा से इस्तीफा दिया था और आज कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया। कई लोग इस बात से हैरान हैं कि नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे नेता ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। भाजपा ने मुझे हर पद दिया और पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते मैंने हमेशा पार्टी के विकास के लिए काम किया।
शेट्टार ने कहा, पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के नाते मुझे लगा कि मुझे टिकट मिलेगा लेकिन जब मुझे पता चला कि मुझे टिकट नहीं मिल रहा है तो मैं हैरान रह गया। मुझसे इस बारे में किसी ने बात नहीं की और ना ही मुझे समझाने की कोशिश की। यहां तक कि मुझे तसल्ली भी नहीं दी गई कि मुझे क्या पद दिया जाएगा।
कर्नाटक की राजनीति में शेट्टार का है बड़ा कद
जगदीश शेट्टार 2018 के विधानसभा चुनाव में धारवाड़ जिले की हुबली धारवाड़ मध्य सीट से जीते थे। शेट्टर लगातार छह बार से चुनाव जीत रहे हैं। वह 2012 से 2013 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। 68 साल के शेट्टार 2008 से 2009 के बीच कनार्टक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। कहा जाता है कि शेट्टार का कित्तूर कर्नाटक (मुंबई कर्नाटक) इलाके की 25 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभाव है।
इस कारण से नाराज हो गए थे जगदीश शेट्टार
20 अगस्त 2019 को राज्य की भाजपा सरकार में उन्हें मध्यम उद्योग के कैबिनेट मंत्री का पद मिला था। बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद जब कैबिनेट को भंग किया जा रहा था तो उन्होंने घोषणा कर दी थी कि भविष्य में किसी कैबिनेट का हिस्सा नहीं होंगे।
यह इस बात का संकेत था कि शेट्टार नाराज हो चुके हैं। वह संघ के पुराने कार्यकर्ता रहे। कित्तूर कर्नाटक के इलाके में उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। शेट्टार राज्य में येदियुरप्पा के बाद दूसरे सबसे बड़े लिंगायत नेता माने जाते हैं।
सत्ता की चाबी लिंगायतों के हाथ में
कहा जाता है कि राज्य में सत्ता की चाबी लिंगायतों के हाथ में ही है। हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट को उनकी परंपरागत सीट माना जाता है। दिसंबर 1955 में जन्मे शेट्टार 1994 में पहली बार विधानसभा पहुंचे और उसके बाद 1996 में बीजेपी के सचिव बनाए गए। 2005 में उन्हें कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया।
बीजेपी को कर्नाटक में किया खड़ा
शेट्टार 6 बार चुनाव जीते हैं और हर बार उनकी जीत का अंतर 25000 वोटों से ज्यादा रहा है। वह कई सरकारों में अलग-अलग मंत्रालय भी संभाल चुके हैं। उनकी गिनती कर्नाटक बीजेपी के उन बड़े नेताओं में होती है, जिन्होंने पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा किया है। वह येदियुरप्पा के भी करीबी रहे।
शेट्टार के कांग्रेस में जाने से कर्नाटक की बदलेगी सियासत
राजनीतिक विश्लेषक एस. वीरेंद्र ने कहा कि लिंगायत समुदाय कई साल से भाजपा को वोट देता रहा है। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला बीएस येदियुरप्पा और दूसरा जगदीश शेट्टार। दोनों लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। कहा जाता है कि इन्हीं दोनों के दम पर भाजपा लिंगायत वोटर्स के बीच मजबूती बनाए हुए है। अब शेट्टार कांग्रेस में जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद होगी की शेट्टार के साथ लिंगायत वोटर्स भी कांग्रेस में ट्रांसफर हों। इससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।










