झारखंड विधानसभा के सत्र में मंगलवार को कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने JAP-IT के माध्यम से कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्ति और एजेंसी चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि बाहरी एजेंसियों के ज़रिए ऑपरेटरों की नियुक्ति की जाती है और उनकी सैलरी में कटौती भी होती है। प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि निविदा प्रक्रिया में ऐसी शर्तें रखी जाती हैं, जो राज्य की कंपनियों को भाग लेने से रोक देती हैं, जिससे सवाल उठता है कि 2021 से एक ही एजेंसी का चयन क्यों किया जा रहा है।
विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह इस बात से अवगत है कि एजेंसियाँ ऑपरेटरों की सैलरी से हिस्सा काट रही हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि राज्य के युवाओं को इस प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जवाब में प्रभारी मंत्री रामदास सोरेन ने सदन को बताया कि मैनपावर सप्लाई का काम निविदा के आधार पर किया जाता है और शिकायत मिलने पर कार्रवाई होती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे की विभागीय जांच कर एक महीने के भीतर कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने सदन में यह भी कहा कि सरकार एजेंसी चयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और जिला स्तर पर टेंडर की प्रक्रिया लागू करने पर विचार कर रही है। साथ ही, उन्होंने ल्यूमिनस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का उदाहरण देकर शिकायतों को गंभीरता से लेने का दावा किया।