2024 के दंगल से पहले बिहार में सियासी फिजा गर्माने लगी है. एक दूसरे के साथ अटूट रहने का दावा करने वाले महागठबंधन में ही कई तरह के विरोध के स्वर हैं. एक तरफ पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जुबानी हमले बोल रहे हैं. तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. बगावत का झंडा बुलंद किये कुशवाहा 19 और 20 फरवरी को जेडीयू में अपनी ताकत दिखाने वाले हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने बतौर पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर दो दिन बैठक बुलाई है.
लगातार बगावती तेवर में कुशवाहा
हालांकि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह कह रहे कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के किसी पद पर नहीं है. लेकिन कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में बैठक बुलाई है. वो लगातार कह रहे हैं कि पार्टी और नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए आरजेडी से डील हुई है. इसी पर चर्चा होगी, लेकिन इसे पार्टी के अंदर कुशवाहा के शक्ति परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है. पहले दो बार जेडीयू से अलग हो चुके कुशवाहा ये जांचने की कोशिश में हैं कि जेडीयू के अंदर उनके कितने समर्थक है. हाल में ही कुशवाहा ने यहां तक कह डाला था की बिहार में सरकार तेजस्वी यादव चला रहे हैं, नीतीश कुमार डिप्टी सीएम की तरह नंबर दो पर रह गए हैं.
नीतीश की भी कुशवाहा को दो टूक
वहीं नीतीश कुमार भी उपेंद्र कुशवाहा के तेवर पर कह चुके हैं की जिसे पार्टी से जाना है वो जा सकता है. लेकिन फिलहाल कुशवाहा नीतीश के लिये किसी गले की हड्डी तरह बने हुए हैं जिसे आसानी से ना तो निगला जा सकता है ना की उगला.