झारखंड में भवन निर्माण नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया एक बार फिर ठप हो गई है, जिसने राज्य के निर्माण कार्यों पर गंभीर असर डाला है। सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से केवल नक्शों के लिए आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण उनकी स्वीकृति नहीं हो पा रही है। पहले उच्च न्यायालय के आदेश और फिर बीपीएएमएस (BPAMS) सॉफ्टवेयर के मेंटेनेंस व सर्वर माइग्रेशन के कारण यह प्रक्रिया जनवरी से अप्रैल तक बंद रही। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में शुरू हुई प्रक्रिया 8 मई से फिर रुक गई और 25 मई को झारखंड स्टेट डेटा सेंटर पर डेटा माइग्रेशन के बाद भी तकनीकी समस्याओं के कारण नक्शा स्वीकृति बंद है। इस स्थिति ने रांची नगर निगम और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में 200 से अधिक नक्शों को लंबित कर दिया है।
- सिंगल विंडो सिस्टम की विफलता
सिंगल विंडो सिस्टम की नाकामी ने पूरे राज्य के नगर निकायों और विकास प्राधिकारों में कॉमर्शियल नक्शा स्वीकृति को पूरी तरह प्रभावित किया है। आवेदन जमा होने के बाद फाइलें न तो आगे बढ़ रही हैं और न ही वापस हो रही हैं। अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर भी सिस्टम द्वारा स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं, जिससे नक्शा स्वीकृति प्रक्रिया में भारी देरी हो रही है। उच्च न्यायालय के आदेश के कारण जनवरी से अप्रैल तक प्रक्रिया बंद रही, और फिर बीपीएएमएस एप्लीकेशन के मेंटेनेंस ने इसे और जटिल बना दिया। यह स्थिति न केवल निर्माण क्षेत्र को प्रभावित कर रही है, बल्कि आम लोगों और डेवलपर्स को भी परेशान कर रही है, जो समय पर अपने प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पा रहे हैं। - निर्माण उद्योग पर बढ़ता संकट
नक्शा स्वीकृति में देरी का असर झारखंड के भवन निर्माण उद्योग पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। रांची जैसे प्रमुख शहरों में 200 से अधिक नक्शे लंबित होने से निर्माण परियोजनाएं रुकी हुई हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। सिंगल विंडो सिस्टम को सुचारू करने के लिए नगर विकास विभाग को तत्काल तकनीकी समस्याओं का समाधान करना होगा। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक नाकामी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डिजिटल प्रणालियों पर निर्भरता के बावजूद तकनीकी बाधाएं विकास की गति को रोक सकती हैं।
-रिपोर्टर: कुमार मिश्रा










