जमशेदपुर, 20 मई 2025: झारखंड के 52 वर्षीय पर्वतारोही मोहन रावत ने अपने अटूट हौसले और जुनून से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (29,032 फीट) को फतह कर लिया। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (TSAF) के वरिष्ठ प्रशिक्षक मोहन ने 18 मई को सुबह 5:20 बजे (नेपाल समय) शिखर पर पहुंचकर तिरंगा लहराया और 15 मिनट वहां बिताए। उनकी इस उपलब्धि ने झारखंड का नाम रोशन कर दिया। मोहन ने अपनी यात्रा 10 अप्रैल को भारत से शुरू की थी और 3 मई को खुंबू क्षेत्र से ट्रेकिंग करते हुए एवरेस्ट बेस कैंप (17,500 फीट) पहुंचे। अनुकूलन के लिए उन्होंने 2 मई को माउंट लोबुचे ईस्ट (20,075 फीट) की चढ़ाई की। 14 मई को शुरू हुई उनकी अंतिम चढ़ाई में वे 17 मई को शिविर चार (26,400 फीट) पहुंचे, और अंततः 18 मई को शिखर पर कदम रखा।
मोहन रावत की इस सफलता में अनुभवी शेरपा गाइड लखपा शेरपा और नेपाल की एशियन ट्रेकिंग ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। 20 सालों से TSAF के साथ जुड़े मोहन ने पर्वतारोहण, स्कीइंग, और राफ्टिंग में गहन प्रशिक्षण लिया है। इससे पहले उन्होंने चमसेर, लुंगसेर कांगरी, जोगिन I और III, कांग यात्से I और II, भगीरथी II, स्टोक कांगरी, और माउंट रुदुगैरा जैसे शिखरों को फतह किया है। वे 2018 के मिशन गंगा अभियान का हिस्सा रहे, जिसे प्रधानमंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी, और 2022 में बछेंद्री पाल के नेतृत्व में ट्रांस-हिमालयन अभियान में शामिल होकर 35 पर्वतीय दरों से 4,841 किलोमीटर की दूरी तय की थी। उनकी यह उपलब्धि TSAF की 13वीं एवरेस्ट सफलता है, जो 1984 में बछेंद्री पाल की ऐतिहासिक चढ़ाई से शुरू हुई थी।
मोहन की इस उपलब्धि ने न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में साहस और दृढ़ संकल्प की एक मिसाल कायम की है। TSAF के चेयरमैन डी.बी. सुंदरा रमम ने कहा कि मोहन की सफलता संस्थान के लिए गर्व का क्षण है और यह दर्शाती है कि मेहनत और लगन से हर मुश्किल मंजिल हासिल की जा सकती है। उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव से निकलकर एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने वाले मोहन रावत की यह यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।










