पटना में शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 को कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा ने बिहार की सियासत में नया रंग भर दिया। NSUI के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार की अगुवाई में यह यात्रा पश्चिम चंपारण से शुरू होकर 26 दिनों तक बिहार के विभिन्न जिलों से गुजरती हुई पटना पहुंची। दिन की शुरुआत मौर्या होटल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से हुई, जहां कन्हैया ने बिहार में बेरोजगारी और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरा। इसके बाद सदाकत आश्रम, कांग्रेस के ऐतिहासिक कार्यालय, से सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पदयात्रा निकाली गई। लक्ष्य था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास का घेराव, लेकिन यह यात्रा राजापुर पुल पर पुलिस की बैरिकेडिंग के साथ एक नाटकीय मोड़ पर पहुंची।
- राजापुर पुल पर हंगामा: कन्हैया की हिरासत
पदयात्रा जैसे ही राजापुर पुल पर पहुंची, पुलिस ने कन्हैया कुमार, वरिष्ठ नेता शकील अहमद और अन्य कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने से रोक दिया। प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स पार करने की कोशिश में जुट गए, जिसके जवाब में पुलिस ने पहले पानी की बौछारें छोड़ीं और फिर हंगामा बढ़ने पर कन्हैया समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। उन्हें कोतवाली थाने ले जाया गया, जहां बॉन्ड भरवाकर छोड़ दिया गया। इस घटना ने बिहार की सियासत में तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं। कन्हैया ने हिरासत के बाद कहा कि यह नौजवानों की आवाज को दबाने की कोशिश है, लेकिन बेरोजगारी और पलायन के खिलाफ उनकी लड़ाई रुकेगी नहीं। इस घटना ने न केवल कांग्रेस की रणनीति को सुर्खियों में ला दिया, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की गतिशीलता पर भी सवाल उठाए।
- बिहार चुनाव और लालू-तेजस्वी पर कन्हैया का जवाब
पदयात्रा के समापन और हिरासत के बाद कन्हैया से पत्रकारों ने बिहार चुनाव में उनकी भूमिका और RJD नेताओं लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव के साथ समीकरणों पर सवाल किए। कन्हैया ने अपने चिरपरिचित अंदाज में जवाब दिया, “मैं बिहार का बेटा हूं, और बिहार के मुद्दों के लिए हमेशा सक्रिय रहूंगा। चुनाव में मेरी भूमिका पार्टी तय करेगी, लेकिन युवाओं की आवाज उठाना मेरा मकसद है।” लालू और तेजस्वी के साथ स्वीकार्यता पर उन्होंने कहा, “हम सब एक साझा लक्ष्य के लिए लड़ रहे हैं—बिहार को बेहतर बनाना। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मकसद एक है।” कन्हैया की यह टिप्पणी महागठबंधन में उनकी स्थिति और कांग्रेस की बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाती है, जो 2025 के चुनाव में युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश में है।