09 दिसंबर 2025 को लोकसभा स्पीकर ओम बिर्ला के चैंबर के बाहर जब DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने इम्पीचमेंट नोटिस थमाया तो संसद की दीवारें गूंज उठीं। उनके साथ प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव, टी.आर. बालू, सीपीआई(एम) के सुवेंकटेशन समेत 107 सांसदों के हस्ताक्षर थे। नोटिस में मदुरै हाईकोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन पर गंभीर आरोप—“1 दिसंबर के फैसले से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल!” विवाद थिरुपरांकुंड्रम हिल पर कार्तिगई दीपम का है, जहां जज ने दर्गाह के पास दीपथून पिलर पर दीया जलाने की इजाजत दी, जो DMK सरकार को धार्मिक हस्तक्षेप लगा।
DMK सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन 4 दिसंबर को डिविजन बेंच ने फैसले को बरकरार रखा। कनिमोझी ने स्पष्ट कहा—“ये राजनीतिक विचारधारा पर आधारित फैसला है, जो सेकुलरिज्म को खतरे में डालता है।” BJP ने तीखा पलटवार किया—“ये हिंदू परंपरा पर हमला है, न्यायपालिका को डराने की साजिश!” तमिलनाडु BJP चीफ नैनेर नागेंद्रन ने कहा—“जज ने तमिल हिंदू संस्कृति की रक्षा की, इम्पीचमेंट का नोटिस शर्मनाक है।” विवाद 1920 से चला आ रहा है, जब हिल पर मंदिर-दर्गाह का मालिकाना हक तय हुआ था।
संसद में हंगामा मच गया। विपक्ष ने जज को ‘ओवररीच’ बताया, BJP ने ‘राजनीतिक बदले’ का आरोप लगाया। अब स्पीकर फैसला लेंगे—अगर नोटिस पास हुआ तो तीन सदस्यीय कमिटी जांच करेगी। एक सांसद ने कहा—“ये सिर्फ दीपम का नहीं, सेकुलरिज्म का सवाल है।” तमिलनाडु में चुनाव नजदीक हैं, विवाद और भड़क सकता है।










