कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर आरा ने हार्वेस्ट प्लस अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के साथ संयुक्त रूप से कोईलवर के खेसरिया गांव में एक कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया।इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉक्टर रविंद्र गिरी वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक एवं श्री रोहित रंजन क्लस्टर पदाधिकारी हार्वेस्ट प्लस के साथ वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान कृषि विज्ञान केंद्र डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी तथा कृषि वैज्ञानिक शशि भूषण कुमार शशि एवं जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तकनीकी सहायक अंकित उपाध्याय सम्मिलित हुए।
इस कार्यक्रम की अतिथि प्रगतिशील महिला कृषक श्रीमती विद्या रानी सिंह को इस अवसर पर सम्मानित किया गया डॉ द्विवेदी ने जानकारी दी कि क्षेत्र में धान मक्का बाजरा की खेती वृहद स्तर पर होती है और इसे ध्यान में रखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत कई प्रकार की तकनीकीयो का मूल्यांकन एवं प्रदर्शन खेसरिया पंचायत के पांच गांव में किया जा रहा है ।हार्वेस्ट प्लस के सहयोग से पूर्व में यहां पर बायो फोर्टीफाइड उच्च जिंक युक्त गेहूं के उन्नत प्रभेद का प्रत्यक्षण किया गया जिसका प्रयोग यहां पर आमजन अपने भोजन के रूप में भी कर रहे हैं.
इसी कड़ी में इस वर्ष भी बाजड़ा मक्का एवं रागी का प्रदर्शन भी किसानों के खेत में किया गया है डॉक्टर रविंद्र गिरी ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए बताया की विश्व में 15 संस्थान ऐसे हैं जहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के ऊपर अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं । उनका मुख्य उद्देश्य ज्यादा पौष्टिकता युक्त विशेषकर जिंक आयरन से भरपूर फसलों को विकसित करना है यह फैसले विश्व से कुपोषण हटाने में आने वाले समय में मुख्य भूमिका निभाएंगे अपने भारतवर्ष में मुख्य रूप से धान गेहूं मक्का एवं बाजरा रागी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि अलग-अलग क्षेत्र में यह मुख्य आहार है हार्वेस्ट प्लस इनके बीजों को तैयार करता है और उनकी खेती को बढ़ावा देता है। जिससे कि कुपोषण की लड़ाई में अपना देश शीघ्र विजई हो वर्तमान में अपने देश में ग्रामीण क्षेत्रों में 65% महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी है।
इसी प्रकार जिंक की कमी के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होने के साथ ही दस्त से मृत्यु की संभावनाएं ज्यादा बढ़ती है ।श्रीमती विद्या रानी सिंह ने जानकारी दी कि वह वर्ष 2019 से इस प्रकार के बायो फोर्टीफाइड अनाजों को पैदा कर रही है और उनका उपयोग भी पूरे वर्ष कर रही हैं। कृषि वैज्ञानिक शशि भूषण जी ने बताया कि जल जंगल जमीन अगर अच्छे होंगे तभी जीवन का विकास होगा आजादी के पूर्व मोटे अनाज जिन्हें ने अब श्रीअन्न कहा जाता है, जिसमें मुख्य रुप से ज्वार बाजरा मरुआ सामा कोदो आदि का प्रयोग तथा सामान्य कुएं के पानी को पीकर लोग ज्यादा स्वस्थ थे और आज चावल गेहूं को मुख्य रूप से उपयोग कर विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियां का सामना कर रहे हैं.
कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि वह अपने भोजन में इसे निश्चित रूप से अपनाएंगे और अपने परिवार के स्वास्थ्य को सुधारने की दिशा में पहल करेंगे अंत में अंकित उपाध्याय ने जानकारी दी किस क्षेत्र में पूर्व में मसूर के आईपीएल 220 का प्रशिक्षण किया गया जो की बायो फोर्टीफाइड प्रभेद था और इसका उत्पादन कर लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं जो निश्चित रूप से एक अच्छा कदम माना जाएगा। अंत में इनके द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया धन्यवाद ज्ञापित किया।