केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लैंड-फॉर-जॉब्स घोटाले में मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त कर ली है। यह मामला 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप “डी” पदों पर नियुक्तियों के बदले जमीन के हस्तांतरण से जुड़ा है। सीबीआई ने इस मामले में 30 से अधिक अन्य आरोपियों के खिलाफ भी मंजूरी मांगी है, जिनके लिए अभी मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
इस मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है। लालू प्रसाद का कहना है कि यह उनके और उनके परिवार के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र है। वहीं, तेजस्वी यादव ने भी इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश है। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
सीबीआई इस मामले की गहन जांच कर रही है और उसने अदालत से अन्य आरोपियों के खिलाफ मंजूरी प्राप्त करने के लिए 15 दिनों का अतिरिक्त समय मांगा है। इस मामले में जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ लोग इसे न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखते हैं। इस मामले की जांच और आगे की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।