महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों ने गहरी चिंता पैदा कर दी है। हाल के दिनों में सामने आए घटनाक्रम में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) पर आरोप लग रहे हैं कि उनके कार्यकर्ता बिहारी और उत्तर प्रदेश के मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। सांसद राजेश वर्मा ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि रोजी-रोटी की तलाश में अपने राज्य से दूर गए मजदूरों पर हमले करना न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह उनके अधिकारों का भी हनन है। उन्होंने कहा कि रोजगार किसी की योग्यता के आधार पर दिया जाता है, न कि क्षेत्रीयता की सोच के तहत।
लोजपा-आर के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी ने इन हमलों की कड़ी आलोचना की है और महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों की सुरक्षा की मांग की है। वर्मा ने यह भी दावा किया कि राज ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व कमजोर हो रहा है, इसलिए मनसे के कार्यकर्ता ऐसी हरकतों पर उतर आए हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मुद्दे पर गंभीर कार्रवाई की मांग की। इस बीच, राज्य सरकार ने भी बयान जारी कर कहा कि किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हाल ही में वायरल हुए वीडियो और घटनाओं से तनाव बढ़ा है। मुंबई के पोवई क्षेत्र में एक सिक्योरिटी गार्ड को मराठी न बोलने पर थप्पड़ मारे जाने और वर्सोवा के डी-मार्ट में कर्मचारी पर हमले जैसे मामले सामने आए हैं। यह मुद्दा राज्य में भाषा को लेकर बढ़ते संघर्ष और राजनीति के दायरे में तेजी से गर्मा रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री फडणवीस ने मराठी को बढ़ावा देने का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसे हिंसा का रूप देना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।