मानसिक स्वास्थ्य और अच्छी नींद के बीच एक गहरा संबंध है, जिसे स्टैनफोर्ड मेडिसिन द्वारा हाल ही में की गई एक शोध ने उजागर किया है। इस अध्ययन में 73,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया और यह पाया गया कि देर रात तक जागने की आदत रखने वाले व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ अधिक होती हैं, जैसे कि डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी। शोध में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि देर रात तक जागने वाले लोग नकारात्मक निर्णय लेने और जोखिमपूर्ण आदतें अपनाने के लिए अधिक प्रवृत्त होते हैं, जो अंततः उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
शोध के अनुसार, सुबह जल्दी उठने वाले और रात को जल्दी सोने वाले व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य बेहतर पाया गया। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को उनकी नींद की प्राथमिकताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया और उनकी स्वास्थ्य स्थिति का गहनता से विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो लोग रात में देर से सोते थे, उनके मानसिक और व्यवहारिक विकारों के मामले अधिक थे, चाहे वे सुबह उठने वाले हों या रात को जागने वाले।
जल्दी सोने की आदत को अपनाने के लिए नियमितता और सही वातावरण का निर्माण आवश्यक है। नींद के समय को धीरे-धीरे 15–30 मिनट पहले खिसकाएं और एक आरामदायक रूटीन बनाएं जो आपको सोने से पहले तनावमुक्त करे। स्क्रीन टाइम को सीमित करें और अपने कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और सुबह के समय धूप लें ताकि आपका सर्कैडियन रिद्म नियमित हो सके। इस तरह की आदतें न केवल आपकी नींद को बेहतर बनाएंगी, बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करेंगी।