रामगढ़ जिले के कुजू क्षेत्र के गोसाई टोला, मुरपा में 17 मई 2025 को जिला प्रशासन और कुजू पुलिस की एक टीम गैरमजरूआ आम भूमि (खाता संख्या 86, प्लॉट नंबर 799) को अतिक्रमण मुक्त कराने पहुंची, लेकिन ग्रामीणों के तीखे विरोध के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। प्रभारी मांडू अंचल निरीक्षक और प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी रामरतन पांडेय के नेतृत्व में जेसीबी के साथ पहुंची प्रखंड प्रशासन की टीम को ग्रामीणों ने घेर लिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बिना पूर्व नोटिस के उनके घरों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की, जो अन्यायपूर्ण है। विरोध में शामिल मनोज अगरिया, मुकेश अगरिया, दिलीप अगरिया, और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वे सैकड़ों वर्षों से इस भूमि पर निवास कर रहे हैं और अचानक कार्रवाई से वे भयभीत हैं।


ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की कि आदिम जनजाति समुदाय से जुड़े उनके मुद्दों को समझने के लिए ग्राम सभा आयोजित की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनके घर तोड़े गए, तो वे सामूहिक रूप से आत्मदाह करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। मौके पर मौजूद अमीन बैजनाथ विश्वकर्मा ने बताया कि 11 एकड़ 23 डिसमिल गैरमजरूआ भूमि पर सरना पूजा स्थल, पंचायत भवन, अस्पताल, विद्यालय, और कॉलेज जैसे ढांचे मौजूद हैं, लेकिन लगभग एक एकड़ भूमि पर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा किया है। इस भूमि को मुक्त कराने के लिए पूर्व में चिह्नित मकानों को हटाने की योजना थी। ग्रामीणों के विरोध के कारण कार्रवाई स्थगित कर दी गई, और पुलिस व प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा।


यह घटना रामगढ़ जिले में गैरमजरूआ भूमि पर अतिक्रमण के मुद्दे की जटिलता को उजागर करती है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस भूमि पर पीढ़ियों से रह रहे हैं और बिना वैकल्पिक व्यवस्था या उचित प्रक्रिया के उन्हें बेघर करना अन्याय है। दूसरी ओर, प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई गैरमजरूआ भूमि को मुक्त करने के लिए आवश्यक है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ा दिया है, और ग्रामीणों की मांग है कि उनकी बात सुनी जाए।

-रिपोर्टर: कुमार मिश्रा










