- उपेक्षित मातृभूमि : चार जिलों की आवाज़ बनेगा जनजागरूकता अभियान
मेदिनीनगर (पलामू): आज़ादी के 76 वर्ष और झारखंड गठन के 25 साल बाद भी पलामू, गढ़वा, लातेहार और चतरा जिलों की तस्वीर नहीं बदली है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बुनियादी सुविधाओं और राजनीतिक भागीदारी जैसे मूलभूत क्षेत्रों में यह इलाका लगातार पिछड़ा रहा है। नक्सलवाद, बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याओं ने यहाँ के युवाओं को गहरी चिंता में डाल दिया है।
इन्हीं सवालों को जनता के बीच ले जाने और क्षेत्र में व्यापक जन संवाद की शुरुआत करने के लिए “उपेक्षित मातृभूमि – उपेक्षा से उभार की ओर” शीर्षक से एक जनजागरूकता अभियान का आगाज़ किया गया। अभियान का पहला बैठक रविवार को मेदिनीनगर स्थित श्री गौशाला में हुआ। बैठक की शुरुआत भारत माता एवं वीर शहीद नीलांबर-पीतांबर को पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी एवं कई आंदोलनों से जुड़े श्री रविशंकर पांडेय ने की। इस दौरान पलामू से कमलेश सिंह, रवि शर्मा, सत्येंद्र पांडेय, नरेन्द्र मेहता, मनीष भिवानिया, नवीन तिवारी, विवेक वर्मा, जलेश शर्मा, शुभम ठाकुर, शर्मीला शुमी, मंजुलता दुबे, प्रदीप पाठक और गढ़वा से शशांक शेखर, पुष्परंजन, मनीष तिवारी, चंद्रशेखर सिंह समेत कई बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
बैठक में सर्वसम्मति से निम्न निर्णय लिए गए –
. जनता को यह समझाना ज़रूरी है कि आखिर इन जिलों को अब तक उपेक्षित क्यों रखा गया है।
. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूल प्रश्नों को आंदोलन का मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा।
. जनजागरूकता अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान और संगोष्ठियों की श्रृंखला चलाई जाएगी।
. जनता की राय लेकर ही आगे समाधान की दिशा तय की जाएगी।
निर्णय लिया गया कि अगली बैठक गढ़वा में होगी, जिसके लिए शशांक शेखर को संयोजक बनाया गया साथ ही मनीष तिवारी एवं पुष्परंजन जी का अहम जिम्मेदारी होगी । वहीं भविष्य की रणनीति और आंदोलन की रूपरेखा गढ़वा बैठक में तय की जाएगी।
अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ़ सवाल उठाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जनता की भागीदारी से इन उपेक्षित जिलों की दशा और दिशा बदलने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।