Karnataka Elections : अब तक राज्य में आठ मुख्यमंत्री लिंगायत और सात वोक्कालिगा समुदाय से बने हैं। लिगांयत वोटर्स की संख्या 17% है, वहीं करीब 14% वोक्कालिगा वोटर्स हैं। वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एचडी देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। कर्नाटक विधानसभा की बात करें तो यहां कुल 225 सीटें है। जिसमें से 224 सीटों पर चुनाव होता है और एक सीट पर किसी को मनोनीत किया जाता है। कर्नाटक की 224 सीटों में से 110 सीटों पर लिंगायत और 100 सीटों पर वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव है। बांकि 14 सीटों पर दूसरे समुदाय से प्रतिनिधि चुनते आ रहे हैं।
कहा जाता है कि लिंगायत वोटर्स किसी का भी कर्नाटक में खेल बना सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जगदीश शिवप्पा शेट्टार का कांग्रेस में शामिल होने बाद यहां की राजनीति समीकरण इस चुनाव में बदलने के आसार दिख रहे हैं। यही कारण है कि अब कर्नाटक की सियासत में खलबली मची हुई है। शेट्टार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। बीएस येदियुरप्पा के बाद शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं।
110 सीटों पर लिंगायत वोटर्स का प्रभाव
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का इतिहास 12वीं शताब्दी से शुरू होता है। 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ। इसके साथ ही कन्नड़ भाषी राज्य मैसूर अस्तित्व में आया। जिसे बाद में कर्नाटक कहा गया। राज्य के गठन से ही यहां लिंगायत समुदाय का दबदबा रहा है।
इन राज्यों में भी है लिंगायत समुदाय की अच्छी आबादी
इस दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1956 से अब तक सूबे में आठ मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से ही बने। माना जाता है कि कर्नाटक की 110 विधानसभा सीटों पर ये सीधा असर डालते हैं। कर्नाटक के अलावा पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस समुदाय की अच्छी आबादी है। अभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। हालांकि, बोम्मई से ज्यादा लिंगायत वोटर्स के बीच येदियुरप्पा और शेट्टार की पकड़ मानी जाती है।
कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का किया है वादा
लिंगायत समुदाय के लोग खुद के अलग धर्म की मांग कर रहे हैं। चुनाव में भी इसको लेकर खूब चर्चा है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्वारमैया ने तो वादा भी कर दिया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दे दिया जाएगा। अब शेट्टार भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इसका भी काफी प्रभाव लिंगायत वोटर्स पर पड़ सकता है।
सूबे का जातिगत समीकरण क्या है?
कर्नाटक में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 6.11 करोड़ है। इनमें सबसे ज्यादा हिन्दू 5.13 करोड़ यानी 84 फीसदी हैं। इसके बाद मुस्लिम हैं जिनकी जनसंख्या 79 लाख यानी 12.91 फीसदी है। राज्य में ईसाई 11 लाख यानी लगभग 1.87 फीसदी हैं और जैन आबादी 4 लाख यानी 0.72 फीसदी है।
सबसे बड़ा है लिंगायत समुदाय
कर्नाटक का लिंगायत सबसे बड़ा समुदाय है। इनकी आबादी करीब 17 फीसदी है। इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा समुदाय वोक्कालिगा है, जिसकी आबादी करीब 14 फीसदी हैं। राज्य में कुरुबा जाति की आबादी आठ फीसदी, एससी 17 फीसदी, एसटी सात फीसदी हैं। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं। इन दोनों समुदायों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलन के चलते हुआ था।










