रांची के धुर्वा निवासी एसडीपी सिन्हा के लिए 1 जून 2025 का दिन उस समय सदमे में बदल गया, जब उनके घर 27.48 करोड़ रुपये का बिजली बिल पहुंचा। सेक्टर टू के टाइप बी, क्वार्टर नंबर 1564 में रहने वाले सिन्हा के पास मात्र एक किलोवाट का बिजली कनेक्शन है, फिर भी बिजली विभाग ने उन्हें यह भारी-भरकम बिल थमा दिया। बिल में 23 मार्च से 1 जून 2025 तक की अवधि के लिए 38030217.67 यूनिट की खपत दिखाई गई है, जो कि एक सामान्य घरेलू उपभोक्ता के लिए असंभव है। बिल जमा करने की अंतिम तिथि 23 जून 2025 थी, जिसके बाद से सिन्हा और उनके परिवार की परेशानियां बढ़ गई हैं।
बिजली बिल में दर्ज मीटर रीडिंग ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। बिल के अनुसार, पिछली मीटर रीडिंग 12595.000 थी, जबकि वर्तमान रीडिंग 429.67000 दर्ज की गई है। इस आधार पर बिजली खपत का अंतर 38030217.67 यूनिट बताया गया, जिसके आधार पर 274841344 रुपये की राशि उपभोक्ता से वसूलने की मांग की गई है। यह स्पष्ट रूप से मीटर रीडिंग या बिलिंग सिस्टम में तकनीकी त्रुटि का मामला प्रतीत होता है। सिन्हा ने बिजली विभाग से इस त्रुटि को सुधारने और उचित जांच की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
एसडीपी सिन्हा अकेले नहीं हैं, जिन्हें इस तरह के अवास्तविक बिजली बिल का सामना करना पड़ रहा है। रांची के इंद्रपुरी मुहल्ला निवासी अंजनी कुमार को भी इसी तरह का एक गलत बिजली बिल प्राप्त हुआ है। ये मामले बिजली विभाग की बिलिंग प्रणाली में गंभीर खामियों की ओर इशारा करते हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि ऐसी त्रुटियां न केवल उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ डाल रही हैं, बल्कि मानसिक तनाव भी पैदा कर रही हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों से अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि बिलिंग सिस्टम की पूरी जांच की जाए और उपभोक्ताओं को तुरंत राहत दी जाए।










