Ranchi : डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन रांची विश्वविद्यालय और DSPMU के संयुक्त तत्वधान से किया गया था. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपनी मातृ भाषा प्रति जागरूक करने का था. इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो.(डॉ.) तपन कुमार शांडिल्य ने की. वक्तव्य देते हुए कुलपति ने कहा कि मातृभाषा आधुनिक संस्कार की संवाहक है, इसके बिना ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को बचाने के लिए प्रायस करने की जरूरत है. कुलपति महोदय ने केंद्र सरकार की उस नीति की भी सराहना की जिसमें 5वीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है. कुलपति महोदय ने हिंदी को विश्व मानचित्र की भाषा बताया है. उन्होंने कहा कि भाषा आत्मबल प्रदान करती है और गौरव से सिर ऊंचा उठाने का हौसला प्रदान करती. उन्होंने आगे अपने संबोधन में कहा कि हिंदी भारत की आत्मा है और भारतीय संस्कृति आध्यमिकता तथा ज्ञान विज्ञान की सर्जना का माध्यम है.
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने मातृभाषा के महत्व की चर्चा करते हुए इसके विभिन्न पहलुओं को बताया और इसकी सार्थकता पर बल दिया. उन्होने विद्यार्थियों से मातृभाषा के संरक्षण के लिए आगे आने की बात कही. मुख्य वक्ता रांची विश्वविद्यालय, रांची के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जेबी पांडेय ने मातृभाषा की चर्चा करते हुए भोजपुरी भाषा की महता को रोचक तरीके से दर्शाया और विभिन्न माध्यम से इसे प्राथमिकता देने की बात कही.
डॉ प्रियांशु कुमार ने केदारनाथ सिंह की कविता मातृभाषा को संदर्भित किया. डॉ विनोद कुमार ने खोरठा की कविता से मातृभाषा के महत्व को दर्शाया.
रांची विश्वविद्यालय, हिंदी विभागाध्यक्ष के डॉ चंद्रिका ठाकुर ने मातृभाषा में लेखन पर जोर दिया. डॉ अमरकांत झा और बालेश्वर पाठक ने भी अपने विचार रखें. अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ यशोधरा राठौर ने किया. मंच संचालन और विषय प्रवेश डॉ जिंदर सिंह मुंडा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ मृत्युंजय कोयरी ने किया.
कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय कई शिक्षक और कार्मचारी उपस्थित रहे. साथ ही बड़ी संख्या में छात्रों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया.
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