महान उद्योगपति रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के एनसीपीए लॉन्स में रखा गया है, जहां उनके चाहने वाले और उद्योग जगत के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली श्मशान घाट में किया जाएगा। सरकार ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें भारतीय उद्योग जगत का महानायक बताया है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन एवं पद्मविभूषण श्री रतन टाटा जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड जैसे देश के पिछड़े राज्य को विश्व में पहचान दिलाने वाले रतन टाटा जी के देहावसान पर एक दिवसीय राज्यकीय शोक की घोषणा की जाती है।
जीवन और उपलब्धियां
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष का पद संभाला और कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने 2008 में जगुआर लैंड रोवर और 2007 में कोरस स्टील का अधिग्रहण किया। उनके कार्यकाल में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। 2000 में उन्हें पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी निभाया।
जीवन सिद्धांत और विचारधारा
रतन टाटा के जीवन सिद्धांत और विचारधारा ने उन्हें एक आदर्श नेता बनाया। उन्होंने हमेशा अपने कर्मचारियों और समाज के हित को प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी निभाया। रतन टाटा का मानना था कि व्यवसाय का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं है, बल्कि समाज की सेवा करना भी है। उनके ये सिद्धांत आज भी टाटा समूह की कार्यप्रणाली में झलकते हैं।
वर्तमान स्थिति और श्रद्धांजलि
रतन टाटा के निधन के बाद, देशभर में शोक की लहर है। उद्योग जगत के प्रमुख व्यक्तियों, राजनेताओं और आम जनता ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनके निधन से भारतीय उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया है। रतन टाटा की विरासत और उनके द्वारा स्थापित मूल्य हमेशा याद किए जाएंगे। उनके निधन के बाद, टाटा समूह ने उनके सिद्धांतों और विचारधारा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है।