जदयू विधायक सरयू राय ने बुधवार को सदन में विशेष अधिकार हनन का मामला उठाया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के भ्रामक जवाबों पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा दिए गए जवाब अक्सर तथ्यहीन और भ्रामक होते हैं, जो सदस्यों के अधिकारों का हनन करते हैं। सरयू राय ने जोर देकर कहा कि सदस्यों को सच जानने का अधिकार है और इस प्रकार की घटनाएँ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती पेश करती हैं।
स्पीकर ने सरयू राय के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मामले की गंभीरता से जांच का आश्वासन दिया। हालांकि, सरयू राय ने आग्रह किया कि सदन के समाप्त होने से पहले इस पर कार्रवाई की जाए। स्पीकर ने बार-बार यह स्पष्ट किया कि पूरे मामले का आकलन करने के बाद ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल वह कार्रवाई की गारंटी नहीं दे सकते, लेकिन मामले को गंभीरता से देखने का वादा किया।
इस घटना ने सदन में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को उजागर किया है। सरयू राय का यह कदम न केवल उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है, बल्कि यह सरकार और विभागों को उनके उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक करने का प्रयास भी है। इस प्रकार की घटनाएँ लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने में सहायक होती हैं और सदस्यों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करती हैं।