हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन सभी नामों की सूची प्रस्तुत करे जिन्हें न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम द्वारा पुनः अनुशंसित किया गया है। यह निर्देश तब आया जब कुछ न्यायिक अधिकारियों ने उच्च न्यायालय कॉलेजियम के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कॉलेजियम द्वारा पुनः अनुशंसित नामों को सरकार बार-बार अस्वीकार नहीं कर सकती। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उन नामों की सूची मांगी है जिन्हें कॉलेजियम ने पुनः अनुशंसित किया है, ताकि नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार और न्यायपालिका के बीच न्यायिक नियुक्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। सरकार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी और जल्द ही सूची प्रस्तुत करेगी। इस मामले ने न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर जोर दिया है। जनता ने इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे न्यायिक नियुक्तियों में देरी और विवाद कम होंगे। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले की गहन जांच कर रही हैं ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को उजागर किया जा सके। इस घटना ने न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को और भी स्पष्ट कर दिया है।