सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2024 को एक महत्वपूर्ण निर्णय में 90,000 आयकर पुनर्मूल्यांकन नोटिसों को वैध ठहराया है। ये नोटिस 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 के बीच जारी किए गए थे। इस निर्णय से उन करदाताओं पर बड़ा असर पड़ेगा जिनके खिलाफ ये नोटिस जारी किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि इन नोटिसों को पुराने कानून के तहत जारी किया गया था, लेकिन नए कानून की प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। इस फैसले से उन 90,000 करदाताओं के लिए राहत की उम्मीद खत्म हो गई है जिन्होंने इन नोटिसों को चुनौती दी थी।
सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे कर संग्रहण में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आयकर अधिनियम का उद्देश्य आय पर कर लगाना और सरकारी राजस्व बढ़ाना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सरकार ने पुराने कानून के तहत नोटिस जारी करने की समय सीमा बढ़ा दी थी, जिसे अब वैध ठहराया गया है। इस फैसले से उन करदाताओं को झटका लगा है जिन्होंने उम्मीद की थी कि नए कानून के तहत उन्हें राहत मिलेगी।
इस फैसले के बाद करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने आयकर सलाहकार से परामर्श करें और आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें। यदि किसी करदाता को पुनर्मूल्यांकन नोटिस मिला है, तो उन्हें समय पर जवाब देना चाहिए और आवश्यक जानकारी प्रदान करनी चाहिए। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार कर चोरी के मामलों में सख्ती बरत रही है और करदाताओं को अपने कर दायित्वों को गंभीरता से लेना चाहिए। पिछले मामलों में भी देखा गया है कि सरकार ने कर चोरी के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं और इस फैसले से यह संदेश और मजबूत हुआ है।