23 अक्टूबर 2025 को दर्भंगा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए महागठबंधन के मुख्य मंत्री पद उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने NDA पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “वे लोगों के लिए काम नहीं करना चाहते, बस बिहार को कब्जा करना चाहते हैं। हम सब धर्मों और जातियों के लोगों के साथ मिलकर राज्य का निर्माण करना चाहते हैं।” तेजस्वी ने NDA की रणनीति को जन-विरोधी बताते हुए महागठबंधन की एकजुटता पर जोर दिया। उधर, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मधेपुरा में एक कैंपेन इवेंट में कहा कि बिहार चुनाव में वोट ‘शिक्षा, रोजगार, और बदलाव’ के लिए होना चाहिए। उन्होंने लालू और नीतीश को बिहार की सभी समस्याओं की जड़ बताया और कहा कि जन सुराज स्थापित होने पर बिहार के लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने से मुक्त हो जाएंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार के लोग जो दूसरे राज्यों से आते हैं, वे वापस लौटेंगे अगर चीजें न बदले। जन सुराज से वे यहाँ रहेंगे। लालू या नीतीश को फिर वोट देंगे तो वे जानवरों की तरह ट्रेनों में यात्रा करते रहेंगे।” उन्होंने सवाल किया कि क्या बिहार में फैक्ट्री बननी चाहिए या दूसरे राज्यों में? किशोर ने बिहार के लोगों से फैसला लेने को कहा। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन संशोधन (SIR) के बाद मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। बिहार पहले राज्य है जहाँ SIR पूरा होने के बाद प्रत्येक मतदान केंद्र पर 1,500 के बजाय 1,200 मतदाताओं की सीमा तय की गई है, जिससे केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़कर 90,712 हो गई है।
यह घोषणाएँ बिहार चुनावी माहौल को और तीव्र कर रही हैं। तेजस्वी का हमला NDA की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है, जबकि किशोर का बयान जन सुराज को एक तीसरा विकल्प के रूप में पेश करता है। SIR से मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाने का प्रयास चुनाव आयोग की निष्पक्षता को दर्शाता है। बिहार के लोग विकास, शिक्षा, और रोजगार के मुद्दों पर वोट देंगे, जो NDA और महागठबंधन के बीच मुकाबले को रोचक बनाएगा।










